Category: साहित्य

बुढ़ापा के जिनगी

– नूरैन अंसारी लोर बहत बा अंखिया से बरसात के तरह. हम जियत बानी जिनगी मुसमात के तरह. भरल बा घर कहे के अपने ही लोग से, बाकिर छटाईल बानी हम कुजात के तरह. जब से उठ गईल हमरा भरोसा के अरथी, हम बसाये लगनी अरुआइल दाल-भात के तरह....

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केने बाड़ी सीता (पहिला खण्ड)

– हीरालाल हीरा 1) हारि के वानर सिन्धु कछार बिचारेले के अब प्रान बचाई? फानि पयोनिधि के दस कन्धर के नगरी, जियते चलि जाई? राक्षस के पहरा दिन-राति सिया के सुराग कहाँ लगि पाई? जो न पता लगिहें त सखा सुग्रीव से बोलऽ ना का जा...

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चइत

– डॉ. कमल किशोर सिंह बहे बड़ी बिमल बयरिया हो रामा , चल बइठे के बहरिया . पोर,पोर टूटेला गतरिया हो रामा , मन लागे ना भीतरिया . रतिया के रमनीय चइत के  चंदनिया , बाहरे बिछाव सेजरिया हो रामा , सूतऽ तानी के चदरिया . सांझ सबेर...

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अंग्रेजी के हुकुमत पर

अभयकृष्ण त्रिपाठी अंग्रेजी के हुकुमत पर कलम चलावत बानी रेड, माई हो गइली ममी बाबूजी के करत बानी डेड।। अतना कइला पर भी अबही ले हम बैकवर्ड बानी, ठेकेदारन के कर दिहला बिना फारवर्ड मत जानी, अपना बचवन के विदेश भेज सबके गरियावत बा....

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जिनगी बेकार लागेला

– मनिर आलम हमर जिनगी हमरे अजब लागेला. आंख में लोर के सैलाब लागेला. दुनिया में तोहरा जैसन कोई नइखे. फूल जैसन चेहरा गुलाब लागेला. का जरुरत बा तोहरा पर्दा के. तोहार केश ही नकाब लागेला. काहे तोरदु तोहार कसम के. जबकि हर आंसू...

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