बापे पूत परापत घोड़ा, बहुत नहीं त थोड़ा थोड़ा (बतकुच्चन 162)
बापे पूत परापत घोड़ा, बहुत नहीं त थोड़ा-थोड़ा. इहाँ ले कि जेकरा बारे मे कहल गइल कि ‘डूबल बंश कबीर के जमले पूत कमाल’ उ कमालो एह कहाउत प ठीक बइठेले. हालांकि कबीर के हर बात के उलटबाँसि बतियावत कमाल के कहना रहे कि...
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