Tag: बतकुच्चन

सोमारी के फेर (बतकुच्चन 164)

ओह दिन सावन के पहिला सोमारी रहल. किरन फूटे से पहिलहीं श्रद्धालुअन के झुंड के झुंड शिवजी के अर्घ्य दे के लवटत रहल. सबे खुश रहे कि भीड़ उमड़े से पहिलहीं जल चढ़ा लिहनी ना त बाद में भीड़ में कचराए के पड़ित. बाकिर हम सोचे लगनी कि...

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मिले मियाँ के माँड़ ना, बिरयानी के फरमाइश! (बतकुच्चन 163)

मिले मियाँ के माँड़ ना, बिरयानी के फरमाइश! आजु रेल बजट सुनत घरी कुछ कुछ अइसने लागल. अब सही भा गलत एकर फैसला त रउरे सभे कर पाएब बाकिर हमरा लागल कि कहीं ना कहीं अच्छा दिन देखत लोग के सपना टूटल बा. अब एकरा के सरकार के हियावे कहल...

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बापे पूत परापत घोड़ा, बहुत नहीं त थोड़ा थोड़ा (बतकुच्चन 162)

बापे पूत परापत घोड़ा, बहुत नहीं त थोड़ा-थोड़ा. इहाँ ले कि जेकरा बारे मे कहल गइल कि ‘डूबल बंश कबीर के जमले पूत कमाल’ उ कमालो एह कहाउत प ठीक बइठेले. हालांकि कबीर के हर बात के उलटबाँसि बतियावत कमाल के कहना रहे कि...

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जेकर बनरी उहे नचावे (बतकुच्चन 161)

जेकर बनरी उहे नचावे, आन खेलावे काटे धावे. कहला के मतलब कि जवन जेकर काम ह, जवना काम में जे पारंगत बा, उ काम ओही आदमी के करे के चाहीं. दोसर केहु करे चली त नुकसान होखे के अनेसा रहेला. एही बात के एगो मतलब अउर निकलेला. पोसुआ अपना...

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बकसऽ ए बिलार मुरगा बाँड़ हो के रहीहें. (बतकुच्चन 160)

बकसऽ ए बिलार मुरगा बाँड़ हो के रहीहें. रउरा सभे सोचत होखब कि ई हर हफ्ते का आ जालें बक बक करे. आ हम सोचीले कि ल फेर कपारे आ गइल बतकुच्चन करे के दिन. गनीमत एतने बा कि बहुत कमे जगहा घेरे के पड़ेला. जइसे नाच का बीच बीच में आवे वाला...

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🤖 अंजोरिया में ChatGPT के सहयोग

अंजोरिया पर कुछ तकनीकी, लेखन आ सुझाव में ChatGPT के मदद लिहल गइल बा – ई OpenAI के एगो उन्नत भाषा मॉडल ह, जवन विचार, अनुवाद, लेख-संरचना आ रचनात्मकता में मददगार साबित भइल बा।

🌐 ChatGPT से खुद बातचीत करीं – आ देखीं ई कइसे रउरो रचना में मदद कर सकेला।