Tag: बतकुच्चन

लोके आ लपके के फरक (बतकुच्चन 157)

कहल गइल बा कि बीत गइल तवन बात गइल. बाकिर का ई सचहू एतना आसान होला? बीते ला त चुनाव बीतिए नू गइल बाकिर ओकर फल अब खट्टा निकले भा मीठ पता ना कतना साल ले खाए के पड़ी. जीते वाला त जीत गइल बाकिर कुछ लोग जीतिओ के ना जीतल. सपना सपने रहि...

Read More

जब पता ना चले कि बाझल बानी कि बझावल बानी (बतकुच्चन १५६)

समुझ में नइखे आवत कि बाझल बानी कि बझावल गइल बानी. बाकिर अतना त जरूर कह सकीलें कि अझुराइल नइखीं. बाझ भा बाझि के मतलब होला पेंच भा गाँठ भा काम के बोझा. आ जब आदमी ओह पेंच के खोले, सलटावे में लाग जाला त कहल जाला कि बाझल बा. हालांकि...

Read More

लग्गी से पानी पिआवल (बतकुच्चन १५५)

मौका आ माहौल चुनाव के बा से सभे लग्गी से पानी पिआए में लागल बा. लग्गी से पानी पिआवल एगो मुहावरा ह जवना के मतलब होला झुठहीं के कवनो काम कइल. जवना काम के कवनो फल नइखे मिले वाला. हालांकि सोचेवाली बात बा कि लग्गी का सहारे फल त...

Read More

पोरे पोरे उठऽता लहरिया ए ननदी (बतकुच्चन – 154)

अंगुरी में डँसले बिया नगिनिया ए ननदी, सईंया के जगा दे! पोरे पोरे उठऽता लहरिया ए ननदी भईया के जगा दे. कबो महेन्दर मिसिर ई पूरबी लिख के मशहूर हो गइल रहलें. आ आजु ले एकर लहर थमल नइखे. अबहियों ई लहर ओहि तरह लहरावत रहेले जब ना तब....

Read More

चबा ना सकीं त चभुलाई काहे ना (बतकुच्चन – १५३)

रंग बरसे भींजे चूनर वाली वाला गाना के एगो लाइन आजु बरबस याद आवत बा कि चाभे गोरी के यार बलम तरसे रंग बरसे. आ साथही याद आवत बा लइकाईं में सुनल एगो कहानी के बाल नायक के बोल कि सात गाय के सात चभोका, चौदह सेर घीव खाँउ रे, कहाँ बारे...

Read More

🤖 अंजोरिया में ChatGPT के सहयोग

अंजोरिया पर कुछ तकनीकी, लेखन आ सुझाव में ChatGPT के मदद लिहल गइल बा – ई OpenAI के एगो उन्नत भाषा मॉडल ह, जवन विचार, अनुवाद, लेख-संरचना आ रचनात्मकता में मददगार साबित भइल बा।

🌐 ChatGPT से खुद बातचीत करीं – आ देखीं ई कइसे रउरो रचना में मदद कर सकेला।