Tag: बतकुच्चन

पोरे पोरे उठऽता लहरिया ए ननदी (बतकुच्चन – 154)

अंगुरी में डँसले बिया नगिनिया ए ननदी, सईंया के जगा दे! पोरे पोरे उठऽता लहरिया ए ननदी भईया के जगा दे. कबो महेन्दर मिसिर ई पूरबी लिख के मशहूर हो गइल रहलें. आ आजु ले एकर लहर थमल नइखे. अबहियों ई लहर ओहि तरह लहरावत रहेले जब ना तब....

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चबा ना सकीं त चभुलाई काहे ना (बतकुच्चन – १५३)

रंग बरसे भींजे चूनर वाली वाला गाना के एगो लाइन आजु बरबस याद आवत बा कि चाभे गोरी के यार बलम तरसे रंग बरसे. आ साथही याद आवत बा लइकाईं में सुनल एगो कहानी के बाल नायक के बोल कि सात गाय के सात चभोका, चौदह सेर घीव खाँउ रे, कहाँ बारे...

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बतकुच्चन १५२

फगुआ के दिन नियराइल बा आ साथे साथ चुनावो के दिन नियराइल जात बा. वइसे त नेता हरमेसा से मुँहफट बेलगाम होत आइल बाड़ें बाकिर अबकी का चुनाव में एह बेलगामो प कवनो लगाम लागत नइखे लउकत. सभे अपना विरोधियन के लेवारे में लागल बा. त हमहू...

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नियर आ नियरा के चरचा (बतकुच्चन १५१)

बड़ बूढ़ लोग गलत नइखे कहि गइल कि नियरा के बारात देरी से लागेला. काहे कि अदबद के कुछ ना कुछ अइसन हो जाला कि सगरी इंतजाम आ सोचावट धइले रहि जाला आ काम बिगड़े का कगार प आ जाले. खास क के तब जब पीर बवर्ची भिश्ती खर सभके काम एके आदमी के...

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पत से पतुरिया के चरचा (बतकुच्चन १५०)

बसंत ऋतु से पहिले पतझर आवेला. पुरान पतई झर जाली सँ आ नया नया पतई निकले लागेला त कहल जाला कि बसंत आ गइल. बाकिर आजु ऋतु का बारे में ना बतिया के हमरा पत से पतुरिया के चरचा ले अपना के बन्हले राखे के बा. काहे कि पिछला दू बेर से पत से...

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🤖 अंजोरिया में ChatGPT के सहयोग

अंजोरिया पर कुछ तकनीकी, लेखन आ सुझाव में ChatGPT के मदद लिहल गइल बा – ई OpenAI के एगो उन्नत भाषा मॉडल ह, जवन विचार, अनुवाद, लेख-संरचना आ रचनात्मकता में मददगार साबित भइल बा।

🌐 ChatGPT से खुद बातचीत करीं – आ देखीं ई कइसे रउरो रचना में मदद कर सकेला।