टेंटीहा, लरछूत, आ पराछूत (बतकुच्चन – १२९)
आजु बतकुच्चन करे बइठनी त धेयान में टेंटीहा, लरछूत, आ पराछूत जइसन शब्द घूमे लागल. कारण कि आजु के माहौल में जेने देखी तेनिए टेंटीहा, लरछूत आ पराछूत लउक जइहें. केहूं इनका के टेंटीहा कही त केहू हुनका के. अब एहसे पहिले कि टेंटीहा,...
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