Tag: बतकुच्चन

बकवास, भाषण, संबोधन, आ प्रवचन (बतकुच्चन – १२४)

बकवास, भाषण, संबोधन, आ प्रवचन चारो एकही काम के अलग अलग जाति ह. चारो में बहुत हद तक समानता मिल सकेला भा जवन एक आदमी ला बकवास होखी उ दोसरा ला प्रवचन हो सकेला. चारो में एक आदमी बोलेला आ बाकी लोग सुनेला. सुने वालन के काम हँ में हँ...

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माँद आ बिल क फरक (बतकुच्चन १२३)

पिछला दिने टीवी पर होखत बहस में पप्पू आ फेंकू के चरचा चलत रहुवे. टीवी के चरचा देखला के एगो मकसद इहो रहेला कि बतकुच्चन खातिर कुछ मसाल भेंटा जाव. लगातार हर हफ्ता कुछ रचल अतना आसान ना होखे. कक्षा में पढ़ावे जाए से पहिले शिक्षक कतना...

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टंच माल के चरचा (बतकुच्चन – १२२)

पिछला दिने टंच माल के बात बड़हन चरचा में रहल. जेकरा के टंच माल कहल गइल रहे उनका ई आपन बड़ाई लागल बाकिर आम आदमी के एह बात में बहुत कुछ आपत्तिजनक लागल. कहे वाला आ जेकरा ला कहल गइल ओकरा त कुछ खराब ना लउकल बाकिर दोसरा लोग के बहुते...

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बूंट के पेड़ (बतकुच्चन – १२१)

रउरा में से केहू बूंट के पेड़ देखले बा? हम त नइखीं देखले काहे कि बूंट के पेड़ होखबे ना करे पौधा होला. बूंट के पेड़ वाला किस्सा पिछला दिने बयानवीर नेता लोग के बकतूतई से धेयान में आइल. केहू बारह रुपिया में भरपेट खियावत रहे त केहू...

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नुक्ता का हेर फेर से खुदा जुदा हो सकेलें (बतकुच्चन – ‍१२०)

उर्दू के जानकार जानेलें कि कइसे नुक्ता का हेर फेर से खुदा जुदा हो सकेलें. उर्दू के एगो खासियत ह कि बहुते मात्रा लिखल ना जाव बूझ लिहल जाला. जे जानकार होला से त बड़ा आराम से पढ़ ली बाकिर नवसिखिया आदमी भुलाए गड़बड़ाए लगीहें. एक जमाना...

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🤖 अंजोरिया में ChatGPT के सहयोग

अंजोरिया पर कुछ तकनीकी, लेखन आ सुझाव में ChatGPT के मदद लिहल गइल बा – ई OpenAI के एगो उन्नत भाषा मॉडल ह, जवन विचार, अनुवाद, लेख-संरचना आ रचनात्मकता में मददगार साबित भइल बा।

🌐 ChatGPT से खुद बातचीत करीं – आ देखीं ई कइसे रउरो रचना में मदद कर सकेला।