Tag: बतकुच्चन

बतकुच्चन १०५

“अंगुरी में डँसले बिया नगिनिया ए ननदी सईंया के जगा द, रसे रसे उठेला लहरिया ए ननदी, सईंया के...

Read More

बतकुच्चन – १०४

“डोलिए में अइनीं, डोलिए में गइनीं, डोलिए में रहि गइल पेट. ए सासु जी तोहरे किरिया सईंया से नाहीं भेंट.” एक जमाना रहुवे छायावादी कवियन के. बात के घुमा के अइसे कहीहें कि कुछ लोग बूझी कुछ ना. कविता के खजुराहो जस होला...

Read More

बतकुच्चन १०२

पिछला हफ्ता एक जने के पटावे खातिर दोसरा जने के पठा दिहल गइल. जिनका के पठावल गइल से ओह राज्य के पालक रहलें आ लोग कहत बा कि एह बहाने उनुका के पटावे के कोशिश कइल गइल बा जिनकर सहारा अगिला साल के चुनाव का बाद लेबे के जरूरत पड़ सकेला....

Read More

बतकुच्चन १०१

“संतोख अतने बा / कि गाँव अपना में अझुराइल / अपने में परेशान / अपने में मगन / अतने में गील / कि हिनिके उड़ा देब! / हुनके भठा देब! / उनकर मामर हेठ करब! / बहुत जल्दिये गोटी सेट करब!!” ना, ना. गलत समुझला के जरूरत नइखे....

Read More

🤖 अंजोरिया में ChatGPT के सहयोग

अंजोरिया पर कुछ तकनीकी, लेखन आ सुझाव में ChatGPT के मदद लिहल गइल बा – ई OpenAI के एगो उन्नत भाषा मॉडल ह, जवन विचार, अनुवाद, लेख-संरचना आ रचनात्मकता में मददगार साबित भइल बा।

🌐 ChatGPT से खुद बातचीत करीं – आ देखीं ई कइसे रउरो रचना में मदद कर सकेला।