Tag: बतकुच्चन

बतकुच्चन – ७०

लस्टम पस्टम में दिहल ज्योति जी के सवाल पर कुछ कहे से पहिले एक बात साफ कर दिहल जरूरी लागत बा. हम ना त भाषा शास्त्री हईं ना भाषा वैज्ञानिक. हम त बस नाच के लबार हईं, सर्कस के जोकर हईं, रमी के पपलू हईं. शब्दन से खिलवाड़ करत बतकुच्चन...

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बतकुच्चन – ६९

पीर से पीर कि पीर के पीर कि पीरे पीर बना देले आ तब पीर खातिर पीर सहाउर हो जाले? अब एह पीर के रीत से पिरितिया बनल कि पिरितिया में पीर के रीत बन गइल बा? संस्कृत के प्रीत बिगड़त बिगड़त कब पिरित हो गइल आ एह पिरितिया के संबंध पीर से...

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बतकुच्चन – ६६-६८

बतकुच्चन – ६६ सोमार के बरखा त बरखल बाकिर अबहीं लर नइखे लागल. लर के मतलब त होला रसरी, सूतरी भा धागा बाकिर एकरा के निरंतरता भा लगातार होखे-बोले वाला बातो खातिर इस्तेमाल कइल जाला. का लर ध लिहले बाड़, एके बात के? जइसे कि पिछला...

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बतकुच्चन – ६५

बुड़बक बझावल राजनीति में त बहुते होला बाकिर विज्ञानो में कम ना होखे. पिछला हफ्ता सुने के मिलल रहुवे कि मानसून केरल ले आ गइल बा आ अब अवले चाहऽता छपरा बलिया ले. बाकिर आसमान से अबही ले वइसहीं आग बरसत बा आ अब कहल जात बा कि मानसून थथम...

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बतकुच्चन – ६४

सुने में आवऽता कि मानसून के बरखा केरल का किनार पर चहुँप गइल बा. अबकी क मानसून करीब सात दिन देरी से आइल बा. आ एह बीच आसमान से बरसत आग के धाह तनी मनी कम भइल बा. बादर बरसे भा ना छाइओ के छाँह कर देला. मानसून के देर से अइला पर मन इहे...

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🤖 अंजोरिया में ChatGPT के सहयोग

अंजोरिया पर कुछ तकनीकी, लेखन आ सुझाव में ChatGPT के मदद लिहल गइल बा – ई OpenAI के एगो उन्नत भाषा मॉडल ह, जवन विचार, अनुवाद, लेख-संरचना आ रचनात्मकता में मददगार साबित भइल बा।

🌐 ChatGPT से खुद बातचीत करीं – आ देखीं ई कइसे रउरो रचना में मदद कर सकेला।