जनतब, अनचिन्हार आ परिचिताह (बतकुच्चन – 184)
जनतब, अनचिन्हार आ परिचिताह. तीनो के तीनो जान-पहचान से जुड़ल शब्द आ आजु के बतकुच्चन एकनिए पर. जनतब के जगहा हिन्दी में जंतव्य ना होखे आ हिन्दी के गंतव्य का जगहा भोजपुरी में गनतब ना भेंटाव. परिचित त हिन्दीओ में भेंटा जाई बाकिर...
Read More