Tag: बतकुच्चन

रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून (बतकुच्चन 167)

रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून. पानी गए ना उबरे मोती मानुष चून. पानी के महत्ता हमनी सभ के मालूम बा. जाने वाला लोग बतावेला कि तिसरका विश्वयुद्ध पानिए खातिर होखी काहे कि पानी घटल जात बा, लोग बढ़ल जात बा. पानी पर मुहावरो बहुते...

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परुआ बैल के हेहव के आसा (बतकुच्चन 166)

परुआ बैल के हेहव के आसा एह पर तनी रुक के चरचा होखी कि परुआ कि पड़ुआ. अबहीं मान के चलल जाव कि परुआ बैल ओह बैल के कहल जाला जवन काम का बेरा थउस के बइठ जाव. ओकरा बस बहाना खोजे के रहेला बइठे के. आ परुआ खाली बैले ना होले सँ आदमियो में...

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पल में परलय होएगा बहुरि करोगे कब (बतकुच्चन 165)

काल्हु करे सो आजु कर, आजु करे सो अब / पल में परलय होएगा बहुरि करोगे कब. पता ना कवना कवि के लिखल ह ई बाकिर जमाना से सुनत आइल बानी अइसन सलाह. सलाह सही होखला का बावजूद मन में होखे लागेला कि, आजु करे सो काल्हु कर, काल्हु करे सो परसो...

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सोमारी के फेर (बतकुच्चन 164)

ओह दिन सावन के पहिला सोमारी रहल. किरन फूटे से पहिलहीं श्रद्धालुअन के झुंड के झुंड शिवजी के अर्घ्य दे के लवटत रहल. सबे खुश रहे कि भीड़ उमड़े से पहिलहीं जल चढ़ा लिहनी ना त बाद में भीड़ में कचराए के पड़ित. बाकिर हम सोचे लगनी कि...

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मिले मियाँ के माँड़ ना, बिरयानी के फरमाइश! (बतकुच्चन 163)

मिले मियाँ के माँड़ ना, बिरयानी के फरमाइश! आजु रेल बजट सुनत घरी कुछ कुछ अइसने लागल. अब सही भा गलत एकर फैसला त रउरे सभे कर पाएब बाकिर हमरा लागल कि कहीं ना कहीं अच्छा दिन देखत लोग के सपना टूटल बा. अब एकरा के सरकार के हियावे कहल...

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🤖 अंजोरिया में ChatGPT के सहयोग

अंजोरिया पर कुछ तकनीकी, लेखन आ सुझाव में ChatGPT के मदद लिहल गइल बा – ई OpenAI के एगो उन्नत भाषा मॉडल ह, जवन विचार, अनुवाद, लेख-संरचना आ रचनात्मकता में मददगार साबित भइल बा।

🌐 ChatGPT से खुद बातचीत करीं – आ देखीं ई कइसे रउरो रचना में मदद कर सकेला।