गोलबंदी, गठबन्हन आ कि गिरोहबन्दी (बतकुच्चन 169)
लागत ब कि मउराइल लोग फेरु मउराइल हो गइल बा. जान में जान आ गइल बा. कहल जात बा कि दहाड़त शेर प काबू पा लिहले बाड़े जंगल के सियार लोमड़ी आ मूस. बस अब तनिका जोर लगावे के बा आ शेर के बाहर क दिहल जाई. आ हम सोचत बानी कि एह गठजोड़ के का...
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