Tag: पाती

गीत

(पाती के अंक 62-63 (जनवरी 2012 अंक) से – 23वी प्रस्तुति) – रिपुसूदन श्रीवास्तव जिन्दगी हऽ कि रूई के बादर हवे, एगो ओढ़े बिछावे के चादर हवे. जवना घर में ना पहुँचे किरिन भोर के जवना आँखिन से टूटे ना लर लोर के केकरा असरे...

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‘गंगा-तरंगिनी’ (पुस्तक समीक्षा)

जिये-जियावे क सहूर सिखावत अमानुस के मानुस-मूल्य देबे वाली ‘गंगा-तरंगिनी’ ‘गंगा-तरंगिनी’ (काव्य-कथा) अभिधा प्रकाशन, मुजफ्फरपुर. मूल्य – पचास रुपये. प्रथम संस्करण. कवि – रविकेश मिश्र (पाती के अंक 62-63 (जनवरी 2012 अंक)...

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धर्म: बदलत रूप बिगड़त माहौल

(पाती के अंक 62-63 (जनवरी 2012 अंक) से – 21वी प्रस्तुति) – सुशील कुमार तिवारी जइसन कि धर्म ग्रंथन में कहल गइल बा ‘धरेतिसः धर्मः’। माने कि देश अउर काल के हिसाब से उचित अनुचित के निर्धरण कइल आ ओकेरा अनुसार व्यवहार कइल...

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फागुनः दू गो गीत

(पाती के अंक 62-63 (जनवरी 2012 अंक) से – 20वी प्रस्तुति) – कमलेश राय एक अंग-अंग मिसिरी में बोर गइल फागुन रस घेर गइल! पतझर के पीरा के हियरा से बिसरा के थिरकि उठल बगियन में गांछ-गांछ अगरा के डाढि आज सगरी लरकोर भइल!...

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रिगवनी

(पाती के अंक 62-63 (जनवरी 2012 अंक) से – 19वी प्रस्तुति) – अनन्त प्रसाद ‘रामभरोसे’ भोजपुरिहा कतनो परेशानी में रहिहन, मोका पावते केहू से हँसी-मजाक करे से बाज ना अइहन. केहू के रिगावल आ रिगला पर लिहाड़ी लिहल, एने का लोगन...

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🤖 अंजोरिया में ChatGPT के सहयोग

अंजोरिया पर कुछ तकनीकी, लेखन आ सुझाव में ChatGPT के मदद लिहल गइल बा – ई OpenAI के एगो उन्नत भाषा मॉडल ह, जवन विचार, अनुवाद, लेख-संरचना आ रचनात्मकता में मददगार साबित भइल बा।

🌐 ChatGPT से खुद बातचीत करीं – आ देखीं ई कइसे रउरो रचना में मदद कर सकेला।