Tag: पाती

ओनइसवीं सदी में बलिया के ददरी मेला : इतिहास क ऐना

(पाती के अंक 62-63 (जनवरी 2012 अंक) से – 12वी प्रस्तुति) – आनन्द संधिदूत ओनइसवीं सदी के आखिरी दशक आवत-आवत ददरी के मेला बलिया में एगो दुर्घटना घट गइल. भइल ई कि कातिक के प्रमुख नहान आ बकरीद एके दिन पड़ गइल. नतीजा ई भइल...

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माई के इयाद

(पाती के अंक 62-63 (जनवरी 2012 अंक) से – 11वी प्रस्तुति) – मनोकामना सिंह शाम के, घर लवट के अइला पर देख के चेहरा उदास पूछली माधो के मेहरारू रउरा मुँह काहे लटकवले बानीं? बंगला के पाँच अस बनवले बानीं ? कहलें माधो, ”का...

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मुन्नी इयाद करे नानी के

(पाती के अंक 62-63 (जनवरी 2012 अंक) से – 10वी प्रस्तुति) – गंगा प्रसाद अरुण नानी हो, बहुते इयाद आवेला तोहार खास करके तब जबकि पापा-मम्मी दूनो लोग चलि जाला अपना-अपना आफिस-स्कूल बन कइके हमनी के ताला में. जानेलू, घर में...

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कवि सम्मेलन आ स्व॰ गणेशदत्त ‘किरण’

(स्मरण – आचार्य गणेशदत्त ‘किरण’) (पाती के अंक 62-63 (जनवरी 2012 अंक) से – 9वी प्रस्तुति) – रामजी पाण्डेय ‘अकेला’ ‘किरण’ जी का बारे में, हमार छोटकी चाची जे बसाँव के स्व॰ बृजा ओझा के बेटी हई, बतवली कि –...

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केसर के गंध लेके पुरवा चलल रहे

(स्मरण – आचार्य गणेशदत्त ‘किरण’) (पाती के अंक 62-63 (जनवरी 2012 अंक) से – 8वी प्रस्तुति) – प्रभाष कुमार चतुर्वेदी (आखिरी पाँच बरिस) कविता केसर का गंध जइसन मादक आ पागल बनावे वाली होले. कवि के रचना पर कवि अपना आ...

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