बतकुच्चन – ५०
पिछला बेर बत्ती जरावे भा चालू करे भा रोशन करे के बाति निकलल रहुवे. आखिर ले कवनो राह ना लउकल कि बत्ती के का कइल जाव. एक हफ्ता ले सोचलो पर कवनो दोसर राह ना भेंटाइल. ले दे के इहे बुझात बा कि बत्ती अबही कुछेक साल ले जरबे करी काहे कि...
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