Tag: भोजपुरी

एगो मजदूर के दरद

– प्रभाकर पाण्डेय ‘गोपालपुरिया’ नून-तेल-भात कबो, कबो दलिपिठवा, कबो-कबो खाईं हम भुँजा अउरी मिठवा, कबो लिट्टी-चोखा त कबो रोटी-चटनी, कई-कई राति हम बिना खइले कटनी. कबो मिलि जाव एक मुठी सतुआ, कबो-कबो खिचड़ी खिया दे...

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भोजपुरी प्रकाशकन के मजबूरी

अँजोरिया के एगो साहित्यकार आ सम्मानित पाठक दिवाकर मणि जी के एगो टिप्पणी मिलल बा हमरा खातिर “भोजपुरी सिनेमा” के मतलब होला “टोटल बकवास”। हिन्दी सिनेमा के डी ग्रेड वर्जन भी कहल जा सकेला भोजपुरी सिनेमा के ।...

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भोजपुरी का प्रति हमनियो के कुछ फर्ज बनेला, चलीं ओकरा के निभावे

– आशुतोष कुमार सिंह देश दुनिया में भोजपुरी भासा बहुते तेजी से आपन पांव पसार रहल बिया. भोजपुरी अब खाली बिहार के भासा नइखे रह गइल बलुक ई अब एगो अंतर्राष्ट्रीय भासा के रूप में आपन पहचान बना रहल बिया. एकरा के बोले वाला भारत के...

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काहे लिहनी धरती पर अवतार

– प्रभाकर पाण्डेय “गोपालपुरिया” छोट रहनी तS कई बेर केहू-केहू कहि देत रहल कि ए बाबू अवतारी हउअS का? एकदिन रहाइल ना अउरी हम पूरा गाँव-गिराँव, हित-नात सबके बोलवनि अउरी कहनी की रउआँ सभे जानल चाहत बानी न की हम अवतारी हईं की का...

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ई ह भोजपुरिया इंटरनेट

– आशुतोष कुमार सिंह जइसे -जइसे विज्ञान के विकास भइल वइसे-वइसे ऊ मानव के रहन-सहन ओकर संस्कार आ ओकर सोचे के तरीका, सबकुछ बदल के रख देलस. आज ई विज्ञान के देन बा कि हमनी के कंप्यूटर के जुग में जिय तानी स. अउर त अउर इंटरनेट जब...

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