Tag: कविता

गाई गाई लोरिया

– ओ.पी. अमृतांशु गाई गाई लोरिया निंदरिया बोलावेली अँगनवा में दादी चान के बोलावेली अँगनवा में. आरे आवऽ बारे आवऽ, नदिया किनारे आवऽ सोने के कटोरवा में दुध भात लेले आवऽ दूध भात मुँहवा में घुट से घुटावेली अँगनवा में दादी चान के...

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आजादी त मिलल, पर केकरा के

– अभयकृष्ण त्रिपाठी आजादी त मिलल, पर केकरा के, ई सवाल बा. कइसे कहीं दिल के दरदिया, कहला में बवाल बा. हर केहू देखा रहल बा, सबके आपन-आपन खेला, अपना मतलब के लगा रहल बा आजादी के मेला, का नेता का परेता आ का गुरु अउरी का चेला....

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गीत

– ओ.पी. अमृतांशु भादो के अन्हरिया रात, हमरो जिनिगिया, दिन पे दिने दिने होता देहिया हरदिया दिन पे दिने दिने ना. कहिलें कुशलवा में, बारहो वियोगवा, दुई टुक होई गईलें, घर के हंडीयवा, नेह-छोह बाँट गईल, ननदी सवतिया, दिन पे दिने...

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कबले अइबऽ पिया

– कन्हैया पाण्डेय लरकल लरहिया बाटे, उजरल पलानी कबले अइबऽ पिया छिलबिल अँगना में पानी. असवों के सेंवतल नइखे चुवेले पलनिया भुरकुस नरियवा-छपुवा, ढहऽता मकनिया उपरा प्लास्टिक कइसो तनले हम बानी कबले अइबऽ पिया छिलबिल अँगना में...

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गीत

– रामरक्षा मिश्र विमल १ जे रोअवला के खुशिया मनाई केहू ओकरा के का समुझाई ? लोर रोकले रोकाला ना कतहीं कहीं पूड़ी आ पूआ छनाला कहीं मरघट में बदलेले बगिया कहीं पाटी में बोतल खोलाला जे जहरिये में जिनिगी के पाई केहू ओकरा के का...

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