Santosh Patel

– संतोष कुमार पटेल

बाढ़, सुखाढ़ आ रोटी
अजीब रिश्ता बा इनके
जवन खरका देलख
खरई खरई
जिये के विश्वास
साथे रहे के आस
धकेल देलस
दउरत रेल के डिब्बा में
जहवां न बइठे क जगहे
न साँस लेवे के साँस
ऊँघत
जागत
दू दू रात के
आँखिन में काटत
जहवां कोई नइखे आपन
बा त एगो टूटल सपना
सहारा बा
उहो बालू के भीत नियन
गरीबी के तराजू में
एक ओरी भूख
दुसर ओरी निराशा
बीच में दू गो लइकन के
सुसकत आँख
दूध क तरसत ओठ
बुढ माई बाबू
अ अदद बीबी
उहो टी. बी. के शिकार
बीमार
लाचार
जियल दुश्वार

इ जिनिगी के भीरी
पलायन के अलावा
कवन चारा बा ?


संतोष पटेल के दूसर कविता

कवि संतोष पटेल भोजपुरी जिनगी त्रैमासिक पत्रिका के संपादक, पू्वांकुर के सहसम्पादक, पूर्वांचल एकता मंच दिल्ली के महासचिव, आ अखिल भारतीय भोजपुरी भाषा सम्मेलन पटना के राष्ट्रीय प्रचार मंत्री हउवें.

5 Comments

  1. दिवाकर मणि

    कटु किन्तु सत्य बातन के उकेरले बानी अपने…..जब कवनो डगर ना निकलेला तब ई मनई के मन पलायन के सहज प्रवृत्ति की ओर उन्मुख होईए जाला….

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  2. संतोष पटेल

    प्रभाकर भाई
    प्रणाम
    धन्यवाद, रउरा हमर ई कविता पसन् पडल.
    अभी ढेर कविता बाड़ी सन
    गवे गवे नेट पर डालत रहब.
    आज कल अपन ब्लॉग bhojpurijinigi@blogspot पर भी ई सब डालत बनी.
    संतोष पटेल.

    Reply
  3. Santosh Kr. Patel

    dhyanbad ashutosh ji

    Reply

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