सुर संग्राम २ के बेहतरीन दर्जन में शामिल होखे के जंग

“महुआ चैनल” के लोकप्रिय रियलिटी शो सुर संग्राम २ के शुरुआत हो चुकल बा आ हर हफ्ता बिहार आ यूपी के सुर-वीर निर्णायकन के दिल जीते का जंग में लागल बाड़े. अबले यूपी आ बिहार दुनु तरफ से तीन तीन प्रतिभागियन के चुनाव बेहतरीन दर्जन खातिर हो चुकल बा. आ छह जने घरे वापिस जा चुकल बाड़े. अब बारह गो प्रतिभागी अउरी बाड़े जवना में से दुनु टीम के तीन तीन गो बेहतरीन सुर-वीर चुनल जइहें आ बाकी बचल छह जने के सुरसंग्राम-यात्रा एहीजे खतम हो जाई.


एह हफ्ता शुक का दिने के शो के शुरुआत मालिनी अवस्थी के गावल बिरहा गीत “टिकुली से टिकुली बदलि लऽ ए भउजी” से होखी आ माहौल पूरा गँवई हो जाई. एकरा बाद मनोज तिवारी अपना खास अंदाज में मंच पर अइहें आ कहीहें कि सुर संग्राम के ई मंच मालिनी जी के एह प्रस्तुति के हमेशा याद राखी जहाँ अइसनो गाना भइल रहे जवना में सजना से सजना बदलि लेवे के बाति कहल गइल रहे. एह पर कल्पना टोक दीहें कि अगर अइसन गाना नीमन कहाई त गुड्डू रंगीला के गावल अश्लील कइसे कहाई ? एह बाति पर तनी बहसा बहसी आ नोक झोक का बाद सुरवीर लोग आपन इम्तिहान देबे उतरी.

बिहार के प्रतिभागी चंदन कुमारी के “कमर लचकाई त, दिल्ली सरकार हिलेला” गाना पर रविकिशन मंच पर कूद जइहें आ अपनहू नाचे लगीहे. यूपी के प्रतिभागी उमेश के गावल गीत “छीनि ली जूता मोजा” पर सगरी जज झूम उठीहे आ कल्पना उमेश से एक बेर गावे के निहोरा कर बईठीहे.

यूपी के प्रतिभागी रघुवीर जे कि सूरदास हउवन के प्रस्तुति पर मनोज तिवारी अतना भावुक हो जइहें कि पुका फाड़ि के रो पड़ीहें जवना से पूरा सेट गमगीन हो जाई. शुक आ शनिचर के एही प्रस्तुतियन का साथे बारहो प्रतिभागी के चयन पूरा हो जाई आ अगिला महासंग्राम के बिगुल बजा दिहल जाई,


(स्रोत : प्रशान्त निशान्त)


अन्तिम बारह प्रतिभागियन के चुने के एह तरीका में हमरा कुछ असहजता बुझाइल. बेसी नीमन रहित अगर दुनु तरफ के बारहो प्रतिभागियन के अंक दे दिहल गइल रहित आ ओकरा आधार पर अन्तिम छह के चुनल गइल रहित. अबही जवन तरीका इस्तेमाल भइल बा ओहमें संभव बा कि बढ़िया प्रतिभागी पीछे रह जाव काहे कि ओकर ड्रा मजगर समूह में हो गइल रहे, आ कमजोर प्रतिभागी आगा निकल जासु काहे कि उनकर समूह संजोग से आसान रहे. बाकिर ई अइसन कवनो बड़हन मुद्दा नइखे बस मन में एगो बाति आइल त सोचनी कि कह दिहल जाव. गजेन्द्र सिंह त पढ़े आवे वाला नइखन आ होई उहे जवन गजेन्द्र रचि राखा !

– संपादक, अँजोरिया

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