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बेजरुरत बोलल जरुरी नइखे

– पाण्डेय हरिराम

मनमोहन सिंह सरकार आ कांग्रेस पार्टी दुनू खातिर ई बुद्धिमानी होई कि ऊ राष्ट्रीय हित खास कर के जम्मू काश्मीर का मसला पर एक सुर में बोले लोग. ई एहतियात बाकी दिन में बरतस लोग भा ना, कम से कम अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत दौरा का तईयारियन का समय त जरुरे बरतस. काहे कि जम्मू कश्मीर स्थायी रूप से भारत में मिल चुकल बा आ ऊ भारत के अभिन्न अंग हवे. पाकिस्तान आ चीन नाजायज ढंग से ओकर एक हिस्सा कब्जियवले बाड़े सँ. पहिले त अमरीका चाहत रहुवे कि कश्मीर का मामिला पर ऊ भारत आ पाकिस्तान का बीच पंचइती करे, बाकिर भारत के लगातार दबाव से ऊ अब एह पर जोर दिहल कम कर दिहले बा. हालांकि अइसन कइल एकदमे बन्द नइखे कइले.

कुछ दिन पहिले एगो खबर आइल रहे कि अमेरीकी राष्ट्रपति सुरक्षा परिषद में भारत के महत्वाकांक्षा के जम्मू आ कश्मीर के समाधान से जोडल चाहत बाड़े. उनकर मानना बा कि अइसनका कइला से दक्षिण एशिया में शांति स्थापित हो जाई. वइसे अमरीकी प्रशासन एकर विरोध कइले बा तबहियो एहमें कहीं ना कहीं थोड़ बहुत सच्चाई त जरुरे बा. काहे कि अमूमन अखबार बिल्कुल झूठ का आधार पर खबर ना बनावस.

तनि शुरु से गौर करीं. जब ओबामा नया-नया पद पर आइल रहलें त उनका मन में रहे कि अमरीका के काश्मीर मसला पर पंचइति करे के चाहीं. एकरा खातिर वार्ताकार का रूप में पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के नामो तय कर लिहल गइल रहुवे. ओकरा बाद पाकिस्तान कोशिश कइलसि कि अफगानिस्तान-पाकिस्तान के बारे में तय हॉलब्रुक सिद्धांत एहिजो लगा दिहल जाय. जेकरा मुताबिक दक्षिण एशिया में सगरी संकट के जड़ में जम्मू काश्मीर मसला बा.

भारत सरकार बहुत कूटनीतिक प्रयास कइलसि जेहसे कि होलब्रुक सिद्धांत कश्मीर पर लागू होखे से रोकल जा सके. ई सब ओह घरी के बात ह जब सरकार आ पार्टी एक सुर में बोलत रहुवे. अब हालात बदल गइल बा. अब त काश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के कमजोरी छिपावे खातिर पार्टी महासचिव राहुल गांधी लीपापोती करत लउकत बाड़न. आ चूंकि सभका मालूम बा कि राहुले भविष्य में प्रधानमंत्री होंइहें त उनका समर्थन आ जी हुजूरी में सभे लागल बा. उनका उमर का एह बाति में कवनो गलती नइखे लउकत कि भारत में कश्मीर के विलय ना भइल रहे. सोनियो गांधी एकर समर्थन कर दिहली. कहली कि कश्मीर भारत के अभिन्न अंग हऽ बाकिर खास दर्जा का साथ !

अब एकर मतलब त इहे भइल कि यदि कश्मीर के भारत में विलय नइखे भइल त ओकरा के भारत से अलगो कइल जा सकेला. अगर तथ्य सही बा, त हो सकेला कि चिदंबरम आ दिग्विजय सिंह में शातिर लड़ाई शुरू हो जाय. काहेकि एस एम कृष्णा गृहमंत्री की कुर्सी चाहते बाड़े. ओने दिग्विजय आ चिदंबरम अपना में अझुराइल बाड़े. वोट बैंक का राजनीति में डूबल ऊ दुनी जने पंजा लड़ावत बाड़े. बाकिर एकरा से अंतत: भारत के राष्ट्रीय हितन के भारी आघात चहुँपी. जम्मू आ काश्मीर का मामिला में पारंपरिक भारतीय स्थिति इहे बा कि जम्मू कश्मीर भारत के अभिन्न हिस्सा हऽ.पी. चिदंबरम के कहना बा कि काश्मीर मसला के समाधान सुझावे वालन खातिर कवनो डँड़ार नइखे खींचल गइल. अब एह बाति के कई मायने हो सकेला आ ओकर दुर्भावनापूर्ण अर्थो निकालल जा सकेला. ई सब जम्मू कश्मीर जइसन संवेदनशील मसला पर अकसरहाँ बोलला के जोखिम बा.

वइसे सोनिया गांधी आ सरकार के बीच एह स्थिति पर कुछऊ कहल मुश्किल बा बाकिर सरकार आ पार्टी के अइसन कइला से हालात बिगड़ सकेले आ विदेशी ताकतन के एह पर बोले के मौका मिल सकेला. एहसे हर हाल में बेजरुरत बोले से बचे के होई.


पाण्डेय हरिराम जी कोलकाता से प्रकाशित होखे वाला लोकप्रिय हिन्दी अखबार के संपादक हईं आ ई लेख उहाँ का अपना ब्लॉग पर हिन्दी में लिखले बानी. अँजोरिया के नीति हमेशा से रहल बा कि दोसरा भाषा में लिखल सामग्री के भोजपुरी अनुवाद समय समय पर पाठकन के परोसल जाव आ ओहि नीति का तहत इहो लेख दिहल जा रहल बा.अनुवाद के अशुद्धि खातिर अँजोरिये जिम्मेवार होखी.

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