हम आग से बारूद सटवले बानी
– अभयकृष्ण त्रिपाठी अरसा बाद एक बार फिर कलम उठवले बानी, जानत बानी हम आग से बारूद सटवले बानी II दीप क रोशनी से अनंत के नाता बा, अन्हरन से देखे क बात हमारा ना सुहाता बा, हर केहू जान के एक दूसरा के लूट रहल बा, डाकू के मंत्री...
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