Category: कविता

गर्मी कइलस बेहाल

– नूरैन अंसारी बहत बिया सर-सर पुरवा बयरिया. धधकत बा आग, चले लू के लहरिया. घर से कहीं निकलल मोहाल भइल बा. भाई हो गर्मी से जिअरा बेहाल भइल बा. लागत बा चईत जइसे जेठ के महीना. चुअत बा माथा से तर-तर पसीना. किरपा अइसन करत बाड़ी...

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तलास

– डा॰ सुभाष राय मौसम जब साफ बा त केहू बाढ़ के खिलाफ पोस्टर लगा सकेला बिजुरी के गरिया सकेला तूफान के खिलाफ दीवाल प नारा लिखि सकेला जब हवा शीतल धूप मिट्ठ लगे त केहू करांति क कहनी सुना सकेला लेनिन आ माओ क फोटो घर के दीवाल प...

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वापसी

– डा॰ सुभाष राय हम जरूर लउटब घाटी से निकलब स्याह चट्टान प रोशनी बिछावत रेगिस्तान की सीना से झरना जइसन फूटत बालू में जिनगी बोवत बढ़ब आ तुहार मटियाइल हाथ चूमि लेब. जब तुहरी बखरी में अन्हार कम होखे लगी तुहरी अंगना में झुंड क...

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बुढ़ापा के जिनगी

– नूरैन अंसारी लोर बहत बा अंखिया से बरसात के तरह. हम जियत बानी जिनगी मुसमात के तरह. भरल बा घर कहे के अपने ही लोग से, बाकिर छटाईल बानी हम कुजात के तरह. जब से उठ गईल हमरा भरोसा के अरथी, हम बसाये लगनी अरुआइल दाल-भात के तरह....

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केने बाड़ी सीता (पहिला खण्ड)

– हीरालाल हीरा 1) हारि के वानर सिन्धु कछार बिचारेले के अब प्रान बचाई? फानि पयोनिधि के दस कन्धर के नगरी, जियते चलि जाई? राक्षस के पहरा दिन-राति सिया के सुराग कहाँ लगि पाई? जो न पता लगिहें त सखा सुग्रीव से बोलऽ ना का जा...

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