बतकुच्चन – ३४
आजु जब लिखे बइठल बानी त छठ व्रत के परसाद सामने आ खरना शब्द दिमाग में बा. खरना मतलब खरो ना, कवनो तिनको ना. अइसन उपवास. बाकिर खर दुष्टो के कहल जाला. आ आखर कहल जाला उबड़ खाबड़ भा रगड़त चीझ के. अब सोचीं कि खर, खरना, आखर में कवन संबंध...
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