बतकुच्चन – ३२
एने कई दिन से अपना बिधुनाइल मन का चलते कुछ लिख ना पवले रहीं बाकिर काल्हु जब एक आदमी के धुनाइल देखनी त बतबनवा मन में बतकूच्चन होखे लागल. याद आवे लागल कुछ भोजपुरी कहाउत. बाते से आदमी पान खाला आ बाते से लात. एगो दोसर कहाउत ह बड़ जीव...
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