Tag: बतकुच्चन

बतकुच्चन – १९

आजु जब हम ई बतकुच्चन लिखे बइठल बानी त खबर चल रहल बा कि सुप्रीम कोर्ट करिया धन पर स्पेशल जाँच दल बना दिहले बिया. ओकर कहना बा कि सरकार बिना खरकोंचले कुछ करत नइखे. हँ हँ मानत बानी सुप्रीम कोर्ट के आदेश में खरकोंचल शब्द नइखे बाकिर...

Read More

बतकुच्चन – १८

पिछला पखवारा जब डीजल किरासन आ रसोई गैस के दाम बढ़ावल गइल त लागल कि बिछी डंक मार दिहले होखे. बिछी मरला के दरद के लहर जइसन एह महँगाईयो के लहर उठे लागल बा. आ बिछी के लहर से याद पड़ल कि बरखा का चलते सगरो बिछलहर हो गइल बा आ सम्हरि के...

Read More

बतकुच्चन १७

पिछला हफ्ता लस्टमानंद जी रामचेला से बतियावत में कह दिहले कि बतकुच्चन वाला ओम प्रकाश भाई से पूछल जाई कि “नाच ना जाने आँगन टेढ़” के सही मतलब का होला. जब से उनुकर लस्टम पस्टम पढ़ले बानी तबहिये से माथा घूम गइल बा. का जाने...

Read More

बतकुच्चन – १६

समय त हमेशा बदलत रहेला. ना बदलल त ऊ समय कइसे कहल जाई. बाकिर जब कवनो बदलाव अचके में भा तेजी से हो जाव त आदमी इहे कहे लागेला कि समय बदल गइल बा. देखीं ना जिम्मेदार पद पर बइठल लोग अपना लाग-डाँट का चलते सामने वाला पर अछरंग लगा देत...

Read More

बतकुच्चन – १५

पुरनका जमाना में रनिवासन में रानी लोग के खटवास-पटवास धरे खातिर एगो अलगे कक्ष भा भवन रहत रहे जवना के कोप भवन कहाव आ जहाँ रुसल आ रिसियाइल रानी लोग जा के खटवास धर लेत रहे. खबर मिलते राजा धावत चहुँप जासु अपना रानी के मनावे खातिर....

Read More