Tag: कविता

ओका -बोका 

– ओ.पी. अमृतांशु तोर नैना, मोर नैना, मिलके भईले चार. चलऽ खेलल जाई, ओका-बोका नदिया किनार.  नदिया के तीरे-तीरे, बहकि बेयरिया. संघे-संघे उड़ी गोरी, तोहरो चुनरिया. हियना के डाढ़े-पाते, झुमिहें बहार, चलऽ...

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छठ गीत

– ओ.पी. अमृतांशु अँखिया से बही गइले, लोरवा के नदिया, छठी माई,सुनिलीं तीवईया के अरजिया हो राम. गोबरे लिपवलीं, पुरवलीं चउकावा, जगमग-जगमग, जरेला दियनवा, कोसिया भरवलीं, कईलीं घीउए हुमदीया. छठी माई,सुनिलीं तीवईया के अरजिया हो...

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जरी दिया तोहरा याद में..

– नूरैन अंसारी अबकी बार एगो दिया तोहरा याद में जराएब. कलिख अपना मन के ओकरा रौनक से मिटाएब. कुछ ना मिलल नफरत कर के, हो गइनी अकेला. लोर भरल अंखिया से देखनी, हम दुनिया के मेला. छलकत अंखिया के गगरी के, हँसी से सजाएब. अबकी बार...

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डर-भय

– डॉ. कमल किशोर सिंह डर बहुरुपिया बनि के आवे, हरदम दिल दुआरी पे. कइसे जान बचाईं आपन, कतना चलीं होशियारी से? चिकन चेहरा से हम डरीं की बढ़ल केश मूँछ दाढ़ी से? भय भगवान से केकरा नइखे, काहे ज्यादा भय पुजारी से ? पढ़ल लिखल लोगन...

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गीत नया हम गाईं कइसे ?

घात मीत के, बात प्रीत के, खेल कहानी हार जीत के, सबका के बतलाईं कइसे? गीत नया हम गाईं कइसे? दोसरा के का बाति चलाईं अनकर के का दोष देखाईं अपने हार सुनाईं कइसे ? गीत नया हम गाईं कइसे ? अपने चिन्ता, अपने फिकिरे कोल्हू के सभ बैल बनल...

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