Tag: कविता

फगुनवा मे

– जयशंकर प्रसाद द्विवेदी बियहल तिरिया के मातल नयनवा, फगुनवा में ॥ पियवा करवलस ना गवनवां, फगुनवा में ॥ सगरी सहेलिया कुल्हि भुलनी नइहरा । हमही बिहउती सम्हारत बानी अँचरा । नीक लागे न भवनवा, फगुनवा में ॥ पियवा ….....

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फागुन बाट ना जोहे

– अशोक द्विवेदी फागुन बाट ना जोहे, बेरा प’ खुद हाजिर हो जाला. रउवा रुचेभा ना रुचे, ऊ गुदरवला से बाज ना आवे. एही से फगुवा अनंग आ रंग के त्यौहार कहाला. राग-रंग के ई उत्सव, बसन्त से सम्मत (संवत् भा होलिका दहन) आ होली से...

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होरी आइल बा आ खुलल मुँह बा : 2 गो कविता

– जयशंकर प्रसाद द्विवेदी होरी आइल बा जरत देश बा-धू धू कईके सद्बुद्धि बिलाइल बा. कइसे कहीं कि होरी आइल बा. चंद फितरती लोग बिगाड़ें मनई इनकर नियत न ताड़ें मगज मराइल ए बेरा मे भा कवनों चुरइल समाइल बा. कइसे कहीं कि होरी आइल बा....

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समाचार? सब ठीक बा!

– डॉ० हरीन्द्र ‘हिमकर’ सीमा के पाती, बॉंची जा एह चिठ्ठी में चीख बा। दिल्लीवालन भूल ना जाईं समाचार सब ठीक बा।। धान-पान सब सूख गइल बा खेत-मजूरा चूक गइल बा। पेट-पेट में कोन्हू नाचत हियरा-हियरा हूक गइल बा। घर में...

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आजकल रोज हम अखबार पढ़ेनीं

– ऋतुराज आजकल रोज हम अखबार पढ़ेनीं अखबार में आइल लेख दू-चार पढ़ेनीं। चोरी, हत्या, गरीबन के लूटल होखेला रोज कुछ बलात्कार पढ़ेनीं।। आजकल रोज हम अखबार पढ़ेनीं अखबार में आइल लेख दू-चार पढ़ेनीं। तेज हो रहल विकास पढ़ेनीं उठ रहल...

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