सतरंगी भोजपुरी

– शिवानंद मिश्र ‘शिकारी’

बाबा अड़भंगी जेकर, बीर बजरंगी जेकर
टहटह चुनरिया, सतरंगी भोजपुरी ह ।

भृगुजी के संगी हउए, गोरख के सरंगी हउए,
बाबा विश्वामित्र अस बुढंगी भोजपुरी ह ।

कुअर के तेगा नंगी, कंपले फिरंगी देखी,
मंगल के आखाड़ा के लंगी भोजपुरी ह ।

तुलसी, कबीर, सुर, निर्मल नीर बहे,
मानस के काथा परसंगी भोजपुरी ह ।

प्रेमचन के बाएन एहमें, राहुल सांस्कृताएन एहमें,
ढोअले भिखारी उ बहंगी भोजपुरी ह ।

ढंगी, बेढंगी बतिअइह जनि हमनी से,
हुराहुरी हो जाई तरंगी भोजपुरी ह ।

रंग के, तरंग के, उमंग संग, जंग के भी
हुमचे के भाषा हुड़दंगी भोजपुरी ह ।

गंगाजी के हेठावाली, मोछी आ मुरेठा वाली,
सिंघी से अखाड़े खड़जंगी भोजपुरी ह ।

विश्व के दुलारी, प्यारी, न्यारी, संस्कारी भाषा
‘शिकारी’ के हाथ के तिलंगी भोजपुरी ह ।


परिचय –
शिवानंद मिश्र,
पुस्तकालयाध्यक्ष,
केन्द्रीय विद्यालय, इफको, गांधीधाम (गुजरात)

रसायन में स्नातक प्रतिष्ठा (1995), पुस्तकालय एवं सुचना विज्ञान में स्नातकोत्तर (1999), युजीसी के नेट परीक्षा (2005) में उतीर्ण ; 2003 से एह नोकरी में ।
घर : छोटका परसउड़ा, थाना: शाहपुर जिला : भोजपुर 802112

1 Comment

  1. Sunita Verma

    Bhot accha sir ji. Keep it up!

    Reply

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