– रामरक्षा मिश्र विमल
लागेला रस में बोथाइल परनवा
ढरकावे घइली पिरितिया के फाग रे.
धरती लुटावेली अँजुरी से सोनवा
बरिसावे अमिरित गगनवा से चनवा
इठलाले पाके अँजोरिया जवानी
गावेला पात-पात प्रीत के बिहाग रे.
पियरी पहिरि झूमे सरसो बधरिया
पछुआ उड़ा देले सुधि के अँचरिया
पिऊ-पिऊ पिहकेला पागल पपिहरा
कुहुकेले कोइलिया पंचम के राग रे.
मधुआ चुआवेले मातल मोजरिया
भरमेला सब केहू छबि का बजरिया
भींजेले रंग आ अबीर से चुनरिया
गोरिया बुतावेलिन हियरा के आग रे.
होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
jai baba banaras…