Category: भाषा

मातृभाषा के महत्व

– डॅा० जयकान्त सिंह ‘जय’ कवनो व्यक्ति,समाज,देश भा राष्ट्र के बनावे-जनावे के जबरदस्त जरिआ होले ओकर आपन भाषा. ओकर आपन मातृभाषा आ राज/राष्ट्रभाषा. दुनिया के आन देश ओकरा संस्कृति, शिक्षा, दर्शन, ज्ञान-विज्ञान वगैरह...

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नेट पर भोजपुरी के एगो युग पूरा होखे का मौका पर

आजु से बारह बरीस पहिले भोजपुरी के पहिलका वेबसाइट अंजोरिया डाॅटकाॅम के शुुरुआत भइल रहुवे. तब से आजु ले बहुते कुछ बदल गइल. नेट पर सैकड़ो वेबसाइट हो गइल बाड़ी सँ भोजपुरी के. अलग बात बा कि भोजपुरी में ना चला के ओकनी में से अधिका...

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मिले मियां के माँड़ ना बिरयानी के फरमाईश!

– ओम प्रकाश सिंह अब एहिजा एह कहाउत के संबंध मियाँ लोग से नइखे. मियाँ के मतलब पतिदेव से, आदमी से बा. मियाँ आ बेगम के इस्तेमाल हमेशा से मरद मेहरारू खातिर होखत आइल बा आ एकरा के सेकूलर कमुनल के नजर से देखला के कवनो जरूरत नइखे....

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गउँवा गउँईं त गईंया भेंटइले (बतकुच्चन – 191)

भोजपुरी के खासियत ह कि एकरा में नया शब्द गढ़े के अपार बेंवत मौजूद बा आ इहे एकर कमजोरियो साबित हो जाले कई बेर. हिन्दी के विद्वान लोग जब भोजपुरी लिखे चलेला त अकसरहाँ ओह लोग के संस्कृतनिष्ठ हिन्दी आ व्याकरण बोध हावी रहेला आ फरक...

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किराया आ भाड़ा (बतकुच्चन – 189)

कहे खातिर त तुलसिए बाबा कह गइल बानी कि ठठा के हँसल आ गाल फुलावल एके साथे ना कइल जा सके. बाकिर आजु के जमाना में एह तरह के नमूना आए दिन देखे के मिले लागल बा. संगही रहि के एक दोसरा से घात करे के चलन बढ़ल जात बा. नया तरीका, नया...

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