Category: भाषा

जाल के जाला (बतकुच्चन – 202)

जाल, जाला, जाली, जंजाल, संजाल, मायाजाल, इंद्रजाल, मोहजाल, महाजाल; पता ना कतना जाल आ कतना जाला कि सझुरावते परेशान हो जाए आदमी. जाल बुनल जाला, जाला लाग जाला आ जाली बनावल जाले. कबो दोसरा खातिर त कबो अपना खातिर. एह जाल के दायरा अतना...

Read More

साहब बुझले पियाज, सहबाइन बुझली अदरख (बतकुच्चन-201)

साहब बुझले पियाज, सहबाइन बुझली अदरख. ना ना, बतावे के कवनो जरूरत नइखे कि हम गलत कहाउत कहत बानी. असल कहाउत हमरो मालूम बा बाकिर सेकुरल कब कवना बात प बवाल मचा दीहें केहु ना बता सके. आ मतलब बात समुझवला से बा, कहाउत के माने भा ओकरा...

Read More