Category: साहित्य

आपन हो जाई अनजान

– नूरैन अंसारी आज जवन नया बा ऊ काल्हुवे पुरान हो जाई. ढेर चुप रहबऽ त आपनो अनजान हो जाई. जले एक में चलत बा घर, चलावत रहऽ, पता ना कब केकरा से दूर ईमान हो जाई. मत करऽ गुमान एतना तू अपना कोठी पर, एक दिन निवास तहरो शमसान हो...

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फ्यूचर बहुत ब्राइट बा, चाचा!!

– दिवाकर मणि रामलुभाया चाचा, गोड़ लागिले. खुश रहऽ ए गुणगोबर. कहऽ का हाल-चाल बा? आजुकाल्हि त ना देखाई देत बाड़ऽ ना तहरे बारे में कुछु सुनाते बा, अईसन काहे हो? अउर तहरा चेहरा प ई खुशी टपक रहल बा, एकर रज का बाटे? बात-वात कुछो...

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उमेद

– संतोष कुमार पटेल जरल रोटी गरहन लागल चान बाकिर आस मरल ना कहियो त होई बिहान. राहू लागले ना रही हटबे करी आ भूख के रात कटबे करी. एही उमेद पर जिनिगी चलले. करेजा वाला जिएला डरपोक हाथ मलेला ओठ झुराला फाटेला जेठ के खेत नियर...

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गरीबी

– संतोष कुमार पटेल जे सोना के चम्मच लेहले जनमल ऊ का जानि गरीबी का हऽ? काथी हऽ लाचारी, बेकारी का हऽ, काथी हऽ बेमारी? जेकर जनम एयर कंडीसन में भईल ऊ का जानी पूस के रात का हऽ, टटाइल भात का हऽ, का हऽ रोटी झूराइल, का हऽ भूख से...

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आजु पहिली तारीख हऽ

– प्रभाकर पाण्डेय “गोपालपुरिया” रातिभर दुनु परानी सुति ना पउवींजा. करवट बदलत अउर एन्ने-ओन्ने के बाति करत कब बिहान हो गउए, पते ना चलुवे. सबेरे उठते मलिकाइन चाय बना के ले अउवी अउर कहुवी की जल्दी से तइयार होके आफिस चलि जाईं....

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