Category: कविता

महँगिया के मार

– ओ.पी. अमृतांशु कईसे सहबू महँगिया के मार करीमन बहू राम के भजऽ. खरची ना जुटेला भोजनवा, देलू पाँच गो रे बेटी के जनमवा, आइल छठवा गरभवा कपार करीमन बहू राम के भजऽ. डहकेली छछनेली बेटिया, बिलखत बाड़ी दिने-रतिया, चढ़ल अदहन पे होखे...

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कबो टूटे ना भाईचारा

– नूरैन अंसारी मत मजहब के मापदंड बनायीं आदमी के पहचान के. ना त बहुत बड़ा अपमान होई गीता अउर कुरान के. प्रेम अउर भाईचारा त हर एक धरम के सार ह. इ जात-पात अउर उंच-नीच के बहुत बड़ा उपचार ह. अपना देश के सभ्यता-संस्कृती इहे मूल...

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कहाँ जात बा संसार

– नूरैन अंसारी आजकल काहे लोगवा खुद से नाराज लागत बा. बड़ा बदलल-बदलल सबकर मिजाज लागत बा. लोग मवुरा के बिगड़ले बा मुहवा के रौनक, बुझाता हंसला पर कौनो बेयाज लागत बा. अपने घर में लोगवा काटत बा बनवास, गरज के मारल इ पूरा समाज...

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जिंदगी के ग़ज़ल

– मनोज भावुक हजारो सपना सजा के मन में चलत रहेलें मनोज भावुक गिरत रहेलें, उठत रहेलें, बढ़त रहेलें मनोज भावुक एह जिंदगी के सफर में उनका तरह-तरह के मिलल तजुर्बा ओमे से कुछ के ग़ज़ल बना के कहत रहेलें मनोज भावुक ऊ जौन भोगलें, ऊ...

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गाई गाई लोरिया

– ओ.पी. अमृतांशु गाई गाई लोरिया निंदरिया बोलावेली अँगनवा में दादी चान के बोलावेली अँगनवा में. आरे आवऽ बारे आवऽ, नदिया किनारे आवऽ सोने के कटोरवा में दुध भात लेले आवऽ दूध भात मुँहवा में घुट से घुटावेली अँगनवा में दादी चान के...

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