आजादी त मिलल, पर केकरा के
– अभयकृष्ण त्रिपाठी आजादी त मिलल, पर केकरा के, ई सवाल बा. कइसे कहीं दिल के दरदिया, कहला में बवाल बा. हर केहू देखा रहल बा, सबके आपन-आपन खेला, अपना मतलब के लगा रहल बा आजादी के मेला, का नेता का परेता आ का गुरु अउरी का चेला....
Read More