Category: कविता

हमार सोगहग वापसी

– भगवती प्रसाद द्विवेदी सोगहग लवटब हम तहरा लगे / तहरा में जइसे लवटेले स पखेरू डैना फड़फड़ावत चहचहात ठोर चुँगियावत अपना खोंता में जइसे लगहर गाय के थान से सटल मुँह मारत बछरू लवटेला नाँद आ खूँटा का लगे जइसे लवटेलीं स बिल में...

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ओका -बोका 

– ओ.पी. अमृतांशु तोर नैना, मोर नैना, मिलके भईले चार. चलऽ खेलल जाई, ओका-बोका नदिया किनार.  नदिया के तीरे-तीरे, बहकि बेयरिया. संघे-संघे उड़ी गोरी, तोहरो चुनरिया. हियना के डाढ़े-पाते, झुमिहें बहार, चलऽ...

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छठ गीत

– ओ.पी. अमृतांशु अँखिया से बही गइले, लोरवा के नदिया, छठी माई,सुनिलीं तीवईया के अरजिया हो राम. गोबरे लिपवलीं, पुरवलीं चउकावा, जगमग-जगमग, जरेला दियनवा, कोसिया भरवलीं, कईलीं घीउए हुमदीया. छठी माई,सुनिलीं तीवईया के अरजिया हो...

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जरी दिया तोहरा याद में..

– नूरैन अंसारी अबकी बार एगो दिया तोहरा याद में जराएब. कलिख अपना मन के ओकरा रौनक से मिटाएब. कुछ ना मिलल नफरत कर के, हो गइनी अकेला. लोर भरल अंखिया से देखनी, हम दुनिया के मेला. छलकत अंखिया के गगरी के, हँसी से सजाएब. अबकी बार...

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डर-भय

– डॉ. कमल किशोर सिंह डर बहुरुपिया बनि के आवे, हरदम दिल दुआरी पे. कइसे जान बचाईं आपन, कतना चलीं होशियारी से? चिकन चेहरा से हम डरीं की बढ़ल केश मूँछ दाढ़ी से? भय भगवान से केकरा नइखे, काहे ज्यादा भय पुजारी से ? पढ़ल लिखल लोगन...

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🤖 अंजोरिया में ChatGPT के सहयोग

अंजोरिया पर कुछ तकनीकी, लेखन आ सुझाव में ChatGPT के मदद लिहल गइल बा – ई OpenAI के एगो उन्नत भाषा मॉडल ह, जवन विचार, अनुवाद, लेख-संरचना आ रचनात्मकता में मददगार साबित भइल बा।

🌐 ChatGPT से खुद बातचीत करीं – आ देखीं ई कइसे रउरो रचना में मदद कर सकेला।