Category: कविता

उन्हुकर उदासी

– भगवती प्रसाद द्विवेदी हमार नाँव सुनिके बड़ा ललक से आइल रहले ऊ मिले बाकिर भेंटात कहीं कि हो गइले उदास. शहर के हमरा खँड़हरनुमा खपड़पोश घर में नजर ना आइल दूरदर्शनी एंटिना के मायाजाल दूर-दूर ले ना लउकल वी॰सी॰पी॰ के दर्शनीयता...

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देसी ना, हमके विदेशी चाहीं …

– शैलेश मिश्र अगर हम सानिया मिर्ज़ा बानी त देसी ना, हमके विदेशी चाहीं … अरब के संख्या में हिन्दुस्तानी, बियाह करेके पाकिस्तानी चाहीं. अगर हम सोनिया गाँधी बानी त देसी ना, हमके विदेशी चाहीं … भारत-माता के इटालियन...

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चिट्ठी

– डा॰अशोक द्विवेदी हम तोहके कइसे लिखीं? कइसे लिखीं कि बहुते खुश बानी इहाँ हम होके बिलग तोहन लोग से… हर घड़ी छेदत-बीन्हत रहेला इहवों हमके गाँव इयाद परावत रहेला हर घड़ी ओइजा के बेबस छछनत जिन्दगी. कल कहाँ बा बेकल मन के...

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पापी हो गइल मनवा

– अभय कृष्ण त्रिपाठी पापी हो गइल मनवा कइसे करीं राम भजनवा, प्रभुजी मोरे कइसे करीं राम भजनवा.. आइल बानी द्वार तिहारे, मन ही मन में रजनी पुकारे, पुलकित होवे ला मदनवा, प्रभुजी मोरे कइसे करीं राम भजनवा.. दाता के भंडार भरल बा,...

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