Tag: बतकुच्चन

लग्गी से पानी पिआवल (बतकुच्चन १५५)

मौका आ माहौल चुनाव के बा से सभे लग्गी से पानी पिआए में लागल बा. लग्गी से पानी पिआवल एगो मुहावरा ह जवना के मतलब होला झुठहीं के कवनो काम कइल. जवना काम के कवनो फल नइखे मिले वाला. हालांकि सोचेवाली बात बा कि लग्गी का सहारे फल त...

Read More

पोरे पोरे उठऽता लहरिया ए ननदी (बतकुच्चन – 154)

अंगुरी में डँसले बिया नगिनिया ए ननदी, सईंया के जगा दे! पोरे पोरे उठऽता लहरिया ए ननदी भईया के जगा दे. कबो महेन्दर मिसिर ई पूरबी लिख के मशहूर हो गइल रहलें. आ आजु ले एकर लहर थमल नइखे. अबहियों ई लहर ओहि तरह लहरावत रहेले जब ना तब....

Read More

चबा ना सकीं त चभुलाई काहे ना (बतकुच्चन – १५३)

रंग बरसे भींजे चूनर वाली वाला गाना के एगो लाइन आजु बरबस याद आवत बा कि चाभे गोरी के यार बलम तरसे रंग बरसे. आ साथही याद आवत बा लइकाईं में सुनल एगो कहानी के बाल नायक के बोल कि सात गाय के सात चभोका, चौदह सेर घीव खाँउ रे, कहाँ बारे...

Read More

बतकुच्चन १५२

फगुआ के दिन नियराइल बा आ साथे साथ चुनावो के दिन नियराइल जात बा. वइसे त नेता हरमेसा से मुँहफट बेलगाम होत आइल बाड़ें बाकिर अबकी का चुनाव में एह बेलगामो प कवनो लगाम लागत नइखे लउकत. सभे अपना विरोधियन के लेवारे में लागल बा. त हमहू...

Read More

नियर आ नियरा के चरचा (बतकुच्चन १५१)

बड़ बूढ़ लोग गलत नइखे कहि गइल कि नियरा के बारात देरी से लागेला. काहे कि अदबद के कुछ ना कुछ अइसन हो जाला कि सगरी इंतजाम आ सोचावट धइले रहि जाला आ काम बिगड़े का कगार प आ जाले. खास क के तब जब पीर बवर्ची भिश्ती खर सभके काम एके आदमी के...

Read More