बतकुच्चन – ८३
केकर केकर लीहीं नाम, कमरी ओढ़ले सगरी गाँव. अब रउरा कहब कि हम का हँसुआ का बिआह में खुरपी के गीत उठा दिहनी. परब तेहवार का समय में ई करिखा आ कजरी वाला मुद्दा उठा के मूड बिगाड़त बानी. जी हमहु जानत बानी कि आजु काल्हु भईंसासुर मर्दिनी...
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