धरमपत्नी त होला बाकिर धरमपति काहे ना होखे (बतकुच्चन – 185)
दिमाग में अगिला बतकुच्चन के ताना बानबुनत जात रहनी तबले रमचेलवा भेंटा गइल. देखते पूछलसि, ए बतकुचन, बतावऽ धरमपत्नी त होला बाकिर धरमपति काहे ना होखे. बूझ गइनी कि बाबा लस्टमानंद से कुछ सीख के आइल बा आ उनुके कहल बात पर हमरा के अजमावल...
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