झड़ुआवल आ बहारल के चरचा (बतकुच्चन – 175)
पिछला अतवार के बाबा लस्टमानंद से भेंट हो गइल. बाबा के आदेश भइल कि हम बतकुच्चन में झाड़ू पर चरचा करीं. बाबा के त ना बतवनी बाकिर रउरा के बता देत बानी कि पिछला साल अगस्त में एगो कड़ी में एकर चरचा कइले रहीं. आजु ओकरे में कुछ बात...
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