माई बाबूजी जब मम्मी आ डैडी हो गइले (बतकुच्चन 170)
माई बाबूजी कब मम्मी डैडी हो गइल लोग केहू के पता ना लागल. बाकिर आजु टीचर के गुरू कहला पर बखेड़ा खड़ा करे के कोशिश हो रहल बा. एहसे कि ई उलटा चाल बा. कहल जाला कि आदमी के भाषा में ओकर संस्कृति लउकेला, संस्कार झलकेला. एहसे जब कवनो...
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