Tag: कविता

एन जी ओ

– संतोष कुमार पटेल शब्द्कोश के नया शब्द समाज के स्वस्थ/शिक्षित/परिष्कृत बनावे के साधन/प्रसाधन जे कह ल जवन कह ल बड़ा व्यापक बा ई शब्द जेकर अर्थ भले समझ गइल बिया सरकार बाकिर एकर मरम समुझे खातिर धोवे के पड़ी आंखिन से शरम काहे...

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भोजपुरी प्रकाशकन के मजबूरी

अँजोरिया के एगो साहित्यकार आ सम्मानित पाठक दिवाकर मणि जी के एगो टिप्पणी मिलल बा हमरा खातिर “भोजपुरी सिनेमा” के मतलब होला “टोटल बकवास”। हिन्दी सिनेमा के डी ग्रेड वर्जन भी कहल जा सकेला भोजपुरी सिनेमा के ।...

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कलयुगी मेहरारु

– संतोष कुमार पटेल अब सीता सावित्री लक्ष्मी पार्वती जइसन नाम आउटडेटेड हो रहल बा काहे की अब लोग अपना आंख के पानी अपने धो रहल बा. लाज ओइसही बिलाइल जाता जईसे गरम तावा पर पानी के एगो बूंद रेगिस्तान में घडी भर के वरखा अब आँखिन...

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आपन हो जाई अनजान

– नूरैन अंसारी आज जवन नया बा ऊ काल्हुवे पुरान हो जाई. ढेर चुप रहबऽ त आपनो अनजान हो जाई. जले एक में चलत बा घर, चलावत रहऽ, पता ना कब केकरा से दूर ईमान हो जाई. मत करऽ गुमान एतना तू अपना कोठी पर, एक दिन निवास तहरो शमसान हो...

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उमेद

– संतोष कुमार पटेल जरल रोटी गरहन लागल चान बाकिर आस मरल ना कहियो त होई बिहान. राहू लागले ना रही हटबे करी आ भूख के रात कटबे करी. एही उमेद पर जिनिगी चलले. करेजा वाला जिएला डरपोक हाथ मलेला ओठ झुराला फाटेला जेठ के खेत नियर...

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