कोरोना आ के दुश्मन चिन्हवा गइल

कोरोना जइसन महामारियो भारत के लोगन ला कुछ काम के बाति क गइल बावे. सवाल इहे बा कि देश को लोग ओकर बाति समुझल कि ना.
पहिला बाति कि कोरोना का चलते लोग अपना दुश्मनन के अब आसानी से चीन्ह सकेला.
दुश्मन नम्बर एक – ऊ झुँड जवन जमात के नाम लिहला पर आपन नाराजगी देखावत बा. सिकूलर जमात से बड़हन दुश्मन देश में दोसर कवनो नइखे. तबलीगी जमात त अपने लोगन के मारत बा आ मारे के इन्तजाम कइले बा, ऊ असल में मुस्लिम समुदाय के दुश्मन बा आ एह बहाने देशो के दुश्मन गिनल जा सकेला. बाकिर सिकूलर जमात ना त अपना परिवार के ह, ना समाज के. ओकरा के देश जतना जल्दी आपन दुश्मन मान लेव ओतने बढ़िया.
दुश्मन नम्बर दू – ऊ राजनीतिक गिरोह जवन देश का उपर अपना परिवार के राखे. जवन अपना फायदा ले अपना दुश्मनो के गोड़ ध लेव, जवन कोरोना पसारे वाला जमात भा झुण्ड के नाम लेबे में सकुचाव, जवन देश हित में होखत काम में फच्चर फँसावे के कोशिश करे आ बेतुका विरोध करे.
दुश्मन नम्बर तीन – ऊ लोग जे कवनो मंच पर सहियो बाति ला अपना लोग के समर्थन में ना उतरे. हालात अइसन बा कि व्हाट्सअप ग्रुपो में कुछ लोग बाकी लोग के मुँह बन्द करवा देता आ बाकी लोग मुँह दुबर बनि के चुप लगा जात बा. हिम्मत नइखे देखा पावत कि साँच ला खड़ा हो सको.
दुश्मन नम्बर चार – ऊ लोग जे सत्ता में आवे ला त बड़हन बड़हन बाति करे ला बाकिर सत्ता पावते चुप्पी साध लेत बा. हिन्दू अपना धर्म के पढाई अपना शिक्षण संस्थान में ना करवा सके, अपना मन्दिरन के कमाई सरकार का हाथ में देबेला मजबूर बा. सिकूलर विचारो से खतरनाक विचार सबका साथ वाला ह. जे दोस्त दुश्मन में फरक ना करे आ दोस्त के दबा के दुश्मन के हित करेला एह उमेद में कि दुश्मन शायद कबो साथ दे देव. धिक्कार अइसन सोच पर.

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