Tag: चौपाल

जम्हुआ के छुअला के डर ना ह, परिकला के हऽ

भोजपुरी इलाका में एगो कहावत पहिले मशहूर रहे कि जम्हुआ के छुवला के डर नइखे, परिकला के बा. तब चिकित्सा सुविधा का अभाव में बहुते शिशू जनम का दू चार दिन का भितरे टिटनेस के शिकार हो जात रहलें. हँसुआ से नार कटात रहुवे आ अन्हार कूप...

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बजलऽ ए शंख बाकिर ….

…बाबाजी के पदा के! सतरह दिन के बनवास का बाद राउर अँजोरिया फेर अपना पुरनके अँगना में मौजूद हो गइल बिया. एह बीचे कतना परिश्रम कतना परेशानी भइल, से मत पूछीं. बस अतने जान ली कि एगो बियाबान में एगो लड़िका रास्ता भुला गइल रहुवे...

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आपन बात

बहुत कोशिश कइला का बादो पुरनका साइट पर नया सिस्टम लगावे में परेशानी आवत रहल ह, एहसे हम अंजोरिया के नया संस्करण नया नाम से नया जगहा शुरु कर रहल बानी. बदलल कुछ नइखे सिवाय एकरा सिस्टम के.

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