75 सालों तक असह्य अत्याचार सहने के बाद बांग्लादेश का हिन्दू जागा है और पूरी दुनिया के हिन्दुओं को सन्देश दिया है कि जीना है तो मरना सीखो, कदम कदम पर लड़ना सीखो.
वरना मानव सभ्यता का इतिहास हिन्दुओं की ऐसी किसी भी जागृति का विवरण नहीं देता. हर जगह हिन्दू मार खाता रहा है, अपनी संपति, अपना परिवार छोड़कर या आतताईयों को सौंप कर भागता रहा है. कभी उसने पलट कर वार करने की नहीं सोची. यह नहीं सोचा कि अगर मरना ही है तो लड़ कर क्यों नहीं मरूं, दुश्मन को मार कर क्यों नहीं मरूं !
दुनिया में हिन्दू आबादी का सबसे बड़ा देश हिन्दुस्तान इस शर्मनाक त्रासदी का सबसे वीभत्स उदाहरण है. सत्ता के लोभ में देश का बँटवारा धार्मिक आधार पर करवाने वाले कांग्रेस और उसके बाद आई किसी भी दल या गठबन्धन की सरकार ने हिन्दुओं को ही इस देश का दोयम दर्जे का नागरिक बना कर रख दिया. हिन्दू यहाँ अपनी धार्मिक शिक्षा नहीं दे सकता, अपने मन्दिरों का नियन्त्रण नहीं पा सकता. शान्ति से अपना धार्मिक उत्सव नहीं मना सकता. अपने धर्मस्थलों के दर्शन के लिए उसे कड़ी सुरक्षा के बीच से गुजरना पड़ता है. उसके जुलूसों को तथाकथित संवेदनशील इलाकों से गुजरने नहीं दिया जाता. उसके मन्दिरों पर सरकार ने घोषित और अघोषित हर तरह का नियन्त्रण बना रखा है. हद तो यह है कि कई हिन्दू मन्दिरों की प्रबन्ध समिति में गैर हिन्दू प्रशासक बनाए गये हैं. इस देश के एक प्रधानमंत्री ने तो यहां तक कह दिया था कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है.
दुनिया के किसी भी देश में अगर वहां के मुसलमानों के विरुद्ध कुछ होता है तो भारत में सूअरों का क्रन्दन कान फोड़ने लगता है. पर जब बांग्लादेश के हिन्दुओं पर हमले होते हैं तो सबकी घिग्घी बन्ध जाती है. हर छोटे बड़े मुद्दे पर वेश्याएं और भंड़ुए तख्तियां ले कर बयान देने लगते हैं. पर हिन्दू पर अगर अत्याचार हो रहा हो तो सब चुप्पी साध लेते हैं. देश विरोधी हर मसले पर बयान जारी करने वाले तोते का होंठ इस मुद्दे पर कुछ नहीं बोलता.
मगर आज जब बांग्लादेश का हिन्दू जागा है तो पहली बार किसी मुस्लिम बहुल देश के किसी मंत्री ने हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार को रोक नहीं पाने के लिए माफी मांगी है. क्या आपने कभी सुना है कि केरल के मोपला नरसंहार, कोलकाता के डायरेक्ट एक्शन डे, कश्मीर के हिन्दुओं पर हुए अत्याचार के लिए माफी मांगना तो दूर किसी ने उसकी आलोचना भी की हो. दुनिया के कई देशों में अब हिन्दू विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और पश्चिमी जगत पहली बार हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार के लिए चिन्ता प्रकट करने की औपचारिकता निभाने को विवश हो गया है.
दुनिया के किसी भी देश में रहने वाले, हिन्दुस्तान के किसी भी गैर-हिन्दू बहुल क्षेत्र में रहने वाले हिन्दुओं को इस से सीख लेनी चाहिए. अत्याचार करो मत पर उसे बरदाश्त भी मत करो. पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, और कश्मीर से पलायन करने वाले हिन्दुओं को क्या मिला ? एक हिन्दू बहुल देश में भी हिन्दुओं को अगर शरणार्थी जीवन बिताना पड़े तो धिक्कार है इस देश के हिन्दुओं को. उठो, जागो, आवाज उठाओ.
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