केशव के गजल – 2
– केशव मोहन पाण्डेय 1. ग़ज़ल एतना नीचे ना गिरऽ कि शरम छोड़ द, हार आ जीत के कुछ भरम छोड़ द. वसूल जिनगी के सबके अलग होखेला, ऊ मुहब्बत छोड़ें, तू हरम छोड़ द. दरिया काग़ज़ के कश्ती से डरबे करी, शर्त, अइसन कुछ आपन करम छोड़ द....
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