रुसला आ छिरियइला के फरक – (बतकुच्चन 210)
पिछला कई बरीस से बतकुच्चन करत आइल बानी आ हमेशा कोशिश कइले बानी कि बतकुच्चन सामयिक संदर्भ ले के होखे. एहसे सबसे बड़का फायदा होला कि जे लोग ठेठ भोजपुरी से परिचित ना होखे उहो लोग एकर आनन्द ले सके. आजु हम बतावे चाहत बानी कि रुसला आ छिरियइला में का फरक होला. कब आदमी रुसेला आ कब छिरिया जाला. रुसला आ छिरियइला खातिर अंगरेजी के निकटतम शब्द हवे Sulking and Tantruming. शायद एकरा बाद रुसला आ छिरियइला के फरक समुझल तनिका आसान हो जाई.
अब आईं संदर्भ के बात. हालही में भइल महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति – भाजपा, शिवसेना, राकांपा के गठबन्हन – के प्रचंड बहुमत मिलल. बाकिर 23 नवम्बर का दिने परिणाम घोषित हो गइला का बावजूद करीब एक पखवारा लाग गइल ई तय करे में, भा कहीं कि एलान करे में काहें कि तय त पहिलहीं हो चुकल रहुवे, कि के मुख्यमंत्री बनी. एलान में देर भइला का चलता मीडिया में तरह-तरह के व्याख्या आ कहानी चले लागल. आ मौका मिल गइल एकनाथ शिन्दे के नाराजगी के खबर से. एकनाथ शिन्दे के के चढ़ावल चना के झाड़ पर एकर चरचा आजु ना करब. अजीत पवार के उपयोगिता वाला लेख में एकर चरचा कर चुकल बानी. आजु बस अतने पर चरचा करब कि शिन्दे रुसल रहलें हँ आ कि छिरियाइल. वइसे ई बतकुच्चन लिखत घरी ले तय नइखे कि शिन्दे का करीहें भा उनुकर का होखे वाला बा. आ किरिया धराई समारोह काल्हु 5 दिसम्बर के होखे के एलान हो चुकल बा. आजु देवेन्द्र, अजीत, आ एकनाथ तीनो जने राजभवन जा के सरकार बनावे के आपन दावा पेश क दिहलें. ओकरा से पहिले पत्रकारन से बतियावत घरी शिन्दे कहलन कि ऊ उपमुख्यमंत्री बनीहें कि ना से साँझ ले बतइहें. तबले पवार ठिठोली कर दिहलन कि भाई हम त बने जात बानी शिन्दे जी आपन जानसु.
अब आईं रुसल आ छिरियाइल के भेद जानल जाव. कवनो मनचाहा परिणाम भा प्राप्रि ना होखला का चलते लोग रुस जाला भा छिरिया जाला. शादी बियाह में फूफा लोग रुसत रहेला बाकिर छिरिया ना पावे. काहे कि ओह लोग के अतना औकात ना रहे कि ऊ छिरिया सकसु, हॅ रुसल उनुका अधिकार क्षेत्र के बात होला. बाकिर दुलहा भा सोहबाला छिरयाइओ सकेला कि हमरा हई चीज चहबे करी. रुसल आदमी के मनावल जा सकेला समुझा-बुझा के बाकिर छिरियाईल आदमी के त या त ओकर माग पूरा करे के पड़ेला भा साफ कर देबे के पड़ेला कि बबुआ तोहार मांग पूृरा होखे नइखे जात. माने के बा त मान जा, ना त आपन राह देखऽ. छिरियाइल आदमी जानेला कि आपन राहो देखे के मौका ओकरा के नइखे मिले जात. गठरिया तोर कि मोर ? पहिले कपरवा फोड़ तब गठरिया छोड़ के हालात बनल रहेला.
फणनवीस के मुख्यमंत्री बने के रहबे कइल आ ऊ बनहूं जात बाड़ें बाकिर दाल में पड़ल माछी का तरह शिन्दे के निकाल फेंके के मौका शायद अबहीं ले नइखे बनल. बाकिर ना मनिहें त फेंकइलो में देर नइखे लागे वाला. सरकार त शिन्दे के समर्थनो बिना बन जाई बाकिर भाजपा नइखे चाहत कि कवनो गलत सन्देश जाव. ना त जब उद्धव के सेना टूट सकेला त शिन्दे के सेना टूटे में कव घड़ी लागे वाला बा. शिन्दे का गोल में जीतल विधायकन में कुछ भाजपाईओ बाड़ें जिनका के एही दिन ला शिवसेना के टिकट पर लड़वले रहल भाजपा. आ गोल-गिरोह तूड़े में महाराष्ट्र के चाणक्य बन गइल फणनवीस का सोझा शरदो पानी भरीहें.
चलत चलत एगो बात एह बतकुच्चन के क्रमांक का बारे मेंं. पिछला बतकुच्चन के 208 क्रमांक गलती से मिल गइल रहुवे. ऊ असल में रहुवे 209वां बतकुच्चन.
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