बकचोन्हर बपसी विद्यालय

आलोक पुराणिक

नाम त वइसे ओह स्कूलन के प्ले स्कूल हऽ, बाकि ओहमें दाखिला करावल खेल ना हऽ.

एगो दोस्त के बेटा के नाम लिखावे खातिर अइसने एगो प्ले स्कूल में गइनी.

जी, बीस हजार शुरु में लागी, फेर तीन हजार रुपया महीना लागल करी - प्ले स्कूल के मैनेजर बतलावत बा.

देखीं, हम रउरा से मेडिकल भा इंजीनियरिंग कालेज के एडमीशन के फीस नइखीं पूछत. हम त प्ले स्कूल के फीस पूछत बानी - हम आपन बात कहनी.

जी, हमहूं प्ले स्कूले के फीस बतावत बानी आ रउरा के कंसेशन वाली बतलावत बानी. एने डिस्काऊंट दे रहल बानी सन. बगैर डिस्काऊंट के फीस रउरा के बता दीं, त राउर हार्ट फेल हो सकेला. खालिस चार लाख के कार में राउर मित्र आइल बाड़न. हमनी के पूरा फीस सुनके त ई दहल जइहन - मैनेजर दयाभाव से मामिला साफ कइलस.

प्ले स्कूल मैनेजर फेर पूछलस - जी बताईं, रउरा अपना बच्चा के कवना कवना कोर्स में लगावल चाहब? माऊंटेनियरिंग, अंतरिक्ष विज्ञान, भरत नाट्यम?

हम कहनी - जी अबहीं त बच्चा सिर्फ एबीसीडी सीख जाव, इहे बहुत बा.

रउरा त गजबे बकचोन्हर बाप बानी जी, जे तीन साल के बच्चा के सिर्फ एबीसीडी सिखावल चाहऽतानी. ओहिजा देखीं, ऊ पेरेंट्स चाहत बाड़न कि उनकर बच्चा अपना तीसरका वर्षगांठ पर एस्ट्रानोट बन जाव आ अपने बानि कि सिर्फ एबीसीडी का पीछे पड़ल बानी. पुअर चैप! - स्कूल मैनेजर डँटलस.

बाकि छोटहन बच्चा से का उम्मीद राखल जाव - हम कहनी.

देखीँ, हऊ पेरेंट्स चाहत बाड़न कि उनकर बच्चा भरतनाट्यम करके देखावे अपना दूसरी वर्षगांठ पर. आ हऊ बच्ची जवन रोवत बिया ओकर महतारी एह बात खातिर खिसियाइल बाड़ी कि ओकरा रोवला में सुर ठीक से काहे नइखे लागत. ऊ पचास हजार रुपया खर्च कइलन ओकरा के म्यूजिक सिखावे पर. अब ऊ चाहत बाड़न कि प्ले स्कूल में क्लासिकल सिंगिंग कंपटीशन होखो. बाकि क्लासिक गावे वाला ज्यादा बच्चे बाड़े सन ना. रउरा लेखा बैकवर्ड पेरेंट्स का वजह से अइसन कंपटीशन ना हो पावे. रउरो अपना बच्चा के प्लीज इनकरेज करीं ना क्लासिकल गावे खातिर. तीन साल त बहुत उम्र होला, क्लासिकल सीखे खातिर - प्ले स्कूल के मैनेजर हमरा के समुझा रहल बा.

बात में दम बा, तीन साल त अब बहुत बड़ उम्र होला.

कई बच्चा त एके साल में भरतनाट्यम परफारमेंस देबे खातिर बेचैन बाड़न सन. बलुक ऊ त कम ओकनी के बपसी बेसी बेचैन बाड़न जा.

बाकि हम नइखीं चाहत कि एह बच्चा पर एही उमिर में अतना बोझा पड़ जाव.

रउरा एह सभे के बैकवर्ड पेरेंट बुझात बानी. हमरा बुझात बा कि एगो स्कूल रउरा जइसन पेरेंट के ट्रेनिंग देबहूं खातिरर खोले के पड़ी. रउरा इन्तजार करीं, ओह स्कूल में राउर नाम जरुर लिखवा दिहल जाई.

चलीं, बकचोन्हर बपसी विद्यालय खुले के इन्तजार कइल जाव.


आलोक पुराणिक जी हिन्दी के विख्यात लेखक व्यंगकार हईं. दिल्ली विश्वविद्यालय में वाणिज्य विभाग में प्राध्यापक हईं. ऊहाँ के रचना बहुते अखबारन में नियम से छपेला. अँजोरिया आभारी बिया कि आलोक जी अपना रचनन के भोजपुरी अनुवाद प्रकाशित करे के अनुमति अँजोरिया के दे दिहनी. बाकिर एह रचनन के हर तरह के अधिकार ऊहें लगे बा.

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