भोला बाबू
नशा छोड़ीं, देखीं दुनिया कतना खूबसूरत बा.
लालजी अबही लबनी उठवलही रहले तबले हरिया आ गइल आ कहलस -
भईया, हमार बात मान लऽ. ई नशा फसा कईल छोड़ऽ आ चलऽ हमरा संगे बगइचा घूमे. देखऽ दुनिया कतना खूबसूरत बा.
लालजी बात मान लिहलन आ हरिया का साथे चल दिहलन.
आगा चलके जगत पंडित का दुआरी से गुजरत देखल लोग त पंडित जी चिलम के कश लगावे जात रहलन. हरिया समुझवलसि
पंडित जी, रउरा त ज्ञानी हईं. ई नशा फसा छोड़ीं आ हमनी का संगे घूमे चलीं. देखीं दुनिया कतना खूबसूरत बा.
जगतो पंडित चिलम छोड़ के साथे लाग लिहलन.
आगा चलल लोग त भोलाबाबू का दुआरी से गुजरत देखल लोग कि भोलाबाबू व्हिस्की के पैग चढ़ावे जात रहलन. हरिया उनुको से कहलस -
मालिक रउरा ई का करत बानी. ई नशा फसा छोड़ी आ हमनी का साथे घूमे चलीं.
अतना सुनते भोलाबाबू उठलन आ लगलन हरिया के पीटे. जगत पंडित से ना रहल गइल. कहलन कि भोला बाबू रउरा एकरा के काहे पीटत बानी? ई बेचारा त हमनी के नशा से दूर करे क कोशिश कर रहल बा. भोलाबाबू जवाब दिहलन
पंडित जी, रउरा एह कमीना के जानत नइखीं. ससुरा पिछलो हफ्ता हमरा लगे आइल रहे आ हमरा के तबले घुमवलस जबले एकर कोकीन के नशा ना उतर गइल.
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