रविशंकर जी, याद बा नू ऊ बतिया जवन पिछला साल कहले रहीं ?
भोजपुरी के मान्यता के राह देखत एगो अउर बरीस बीत गइल बाकिर कतहूं कवनो संकेत नइखे लउकत. साफ लउकत बा कि सरकार एहसे उदासीन बिया. बाकिर उमीद के दीया अबहीं जरऽता आ आवे वाला दिन में ई सुने के ना मिली कि भोजपुरिया लोग कवनो दोसरा समाज से...
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