भउजी हो !

भउजी हो !

का बबुआ ?

प्रधानमंत्री जी काश्मीर के बेसी स्वायत्ता देबे के बाति कहले बाड़न.

ओहसे का हो जाई ?

ओहिजा के लोग खुश हो जाई.

एहसे त बढ़िया रहित कि ऊ भारत के काश्मीर से आजाद करा देवे के बाति कहले रहतन.

कुछ गलती नइखे होत तोहरा कहला में ? का कहल चाहत बाड़ू ? काश्मीर के आजाद करावे के नू ?

ना बबुआ. काश्मीर त आजाद पहिलही से बा. मन कइलस त सगरी पण्डितन के मार भगा दिहलस. जब मन करे ला भारत का विरोध में बवाल कर लेला. हम त भारत के काश्मीर से आजाद करावे के बात कहत रहनी. जे हर कदम पर काश्मीरियन के गुलाम का तरह व्यवहार करेला. देश का बाकी हिस्सा का कीमत पर काश्मीरियन के हर तरह के आर्थिक पैकेज देला. जहाँ आजु तक भारत के संविधान के हर पहलू लागू ना हो पावल. ओकरा सुरक्षा पर पता ना कतना धन खर्च करेला, पता ना कतना हिन्दुस्तानी जवान आपन जान दे देबेले हर साल. एक बेर काश्मीर के कह दित कि देखऽ लोग तू आपन व्यवस्था. हम चलनी अपना देशे.

आ जम्मू आ लद्दाख के का होखी?

ऊ लोग त भारत के ह, भारते में रही. बाकिर हमहू जानत बान कि कांग्रेस सरकार एकरा खातिर कबो तइयार ना होखी.

काहे भउजी ?

तब ऊ लोग के सेकूलर वाला सिद्धान्त गलत साबित हो जाई. देश के बँटवारा धार्मिक आधार पर भइल रहे. ओहि घरी एह समस्या के हमेशा खातिर निपटावल जा सकत रहुवे. बाकिर गाँधी आ नेहरु के पाखण्ड का चलते ना हो पावल आ पूरा देश आजु ले ओह गलती के भुगतत बा.

आज तोहरा से बेसी बतियावल ठीक नइखे.

हँ बबुआ सोझ बतिया सोझे करेजा पर नू लागेला.


भउजी हो के पिछला कड़ी.

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