भउजी हो !

का बबुआ ? फगुआ आ गइल का ?

लउकल त ना हऽ केनियो. बाकिर सुने में आवत बा कि आ गइल बा. ओकरे के खोजे निकलल बानी.

चलीं, एही बहाने भउजी त याद आ गइली. ना त अब त जमाना बा अपने मरद मेहरारू में भूलाइल रहे के. बाप महतारी, भाई भउजाई, बहिन बहिनई सब भुलाइल जात बा आदमी.

का भउजी, कम से कम फगुआ का दिने त ई रंग उड़ावे वाली बात मते बतियावल जाव.

ठीक बा बबुआ. आईं रउरा खातिर खास गुझिया बना के रखले बानी.

आवऽ पहिले अबीर मल लेबे दऽ.

मल लीं. हमहूं तइयार बानी मले खातिर. बराबरीए पर छूटल जाई ! ओकरा बाद टीवी का सोझा बइठ के फगुआ मनावल जाई. काहे कि फगुआ त अब टीवी आ अखबारे में लउकत बा.

हँ भउजी, गीत गवनई त सब छूटल जात बा. आजु का दिने शराब का नशा में झूमत पियक्कड़ लउकेले सँ. मुर्गा मीट का दुकान पर सामने से आ शराब का दुकान पर पिछवाड़ा से लाइन लागल लउकेला. लोग फगुआ के पियक्कड़ी के पर्व बना के राख दिहले बा.

धीरे धीरे समाज आ संस्कृति खतम हो रहल बा बबुआ. लोग “सभ्य” होखल जात बा. अब ऊ फगुआ के उल्लास में नइखे रहत, फगुआ के औपचारिकता निबाहऽता.

0 Comments

Submit a Comment

🤖 अंजोरिया में ChatGPT के सहयोग

अंजोरिया पर कुछ तकनीकी, लेखन आ सुझाव में ChatGPT के मदद लिहल गइल बा – ई OpenAI के एगो उन्नत भाषा मॉडल ह, जवन विचार, अनुवाद, लेख-संरचना आ रचनात्मकता में मददगार साबित भइल बा।

🌐 ChatGPT से खुद बातचीत करीं – आ देखीं ई कइसे रउरो रचना में मदद कर सकेला।