हे आदित् देव

– ओ.पी. अमृतांशु


चिरई-चुरंगिया के होई गइलें शोर !

भइल भोर,
हे आदित्  देव लागिला गोड़ !  
हाथ जोड़ , 
हे आदित्  देव लागिला गोड़ !

देर भइल पनिया में 
खाड़ बाड़ी जनिया,
थर-थर कांपे अउरी
ठिठुरे बदनिया,
छल-छल छलकेला नेहिया के लोर !

पान-फूल नारियल 
हाथवा सजाके,
तिकवेला  केहू जोड़ा
कलसूप उठा के,
हियना के दियना बुझाये जनि मोर !

अबेर भइल कहवाँ
कुबेरा  भइल आईं,
बरती तिवईया के
अरघ ले ले जाईं,
मनसा के जलसा त मारे हिलकोर !

भइल भोर,
हे आदित् देव लागिला गोड़ !
हाथ जोड़ ,
हे आदित् देव लागिला गोड़ !

7 Comments

  1. kamal k Singh

    Chitra kala aur kaivta duno bahut niman lagal.
    Badhaee aur shubh kamanayen

    kamal kishor singh

    Reply
  2. Ranjit Chakraborty

    Hi,
    very nice composition.
    thanks and regards,
    Ranjit Chakraborty

    Reply
  3. Gaurav Gaur

    Very Good!

    best wishes for you.

    Reply
  4. amritanshuom

    बहुत -बहुत धन्यवाद !कमल जी .कार्तिक मास के पावन पर्व छठ पूजा बड़ी धूम- धाम से मनावल जाला.हर भारतीय के छठ-पर्व के बहुत -बहुत शुभकामना !
    ओ.पी.अमृतांशु

    Reply
  5. Sahil

    छठ पूजा का बहुत सुन्दर वर्णन किए है!
    ओ.पी. जी

    Reply
  6. M.R. Yadav

    बहुत सुन्दर
    ओ.पी. जी मुबारक हो!

    Reply
  7. Shaji

    बहुत सुन्दर र्णन किए है छठ पूजा का!
    छठ-पर्व के बहुत-बहुत शुभकामना

    Reply

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