चलs ना फेर से भाई बनल जाओ भाई

– लव कान्त सिंह

दरद हिया के छुपा रहल बानी

लोर पोंछ के मुस्का रहल बानी.

कांट के बगिया में हमके फेंकल केहू
बनके फूल ओजा भी फुला रहल बानी.

गरहा खोनले रहस कि गिरी ओमे ई
उनहीं के गरहा से बचा रहल बानी.

चलs ना फेर से भाई बनल जाओ भाई
इहे पाठ उनका के पढ़ा रहल बानी.

जात-धर्म के नाम पर जिनकर बा बेपार
ओह बेपार में घाटा बढ़ा रहल बानी.

घाव लमहर भइल बा देस के पीठ पर

लव” मलहम ओहपर चढ़ा रहल बानी.

lav-singh

2 Comments

  1. amritanshuom

    बहुत नीक……

  2. गुरूजी

    हमहू के भाई बनल ए भाई

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